शिवराज सिंह चौहान की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
कांग्रेस ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर विधानसभा को गुमराह करने का आरोप लगाया है। व्यापमं घोटाले को लेकर पूछे गए सवालों के जबाव में शिवराज ने ग़लत जानकारियां दी। कांग्रेस ने कुछ दस्तावेज़ पेश कर शिवराज पर व्यापमं घोटाले को दबाने की हरसंभव कोशिश करने का आरोप लगाया है।
31 मार्च 2011 को विधानसभा में शिवराज सिंह चौहान से पूछा गया कि व्यापमं की जांच के लिए गठित समिति ने अब तक कितने फ़र्ज़ी अभ्यार्थियों की पहचान की गई है? जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि आज के दिनांक तक किसी भी फ़र्ज़ी अभ्यार्थी की पहचान नहीं की गई है। लेकिन 19 नवंबर 2009 को दर्ज की गई एफआईआर में 40 फ़र्ज़ी अभ्यार्थियों को नामजद किया जा चुका था।
इसी तरह 23 फ़रवरी 2012 को शिवराज ने विधानसभा को बताया कि मेडिकल छात्रों के दस्तावेज़ और फ़ोटो की जांच के लिए सेंट्रल फ़ोरेंसिक लेबोरेटरी हैदराबाद को भेजा गया है। जबकि व्हिसलब्लोअर आशीष चतुर्वेदी को आरटीआई में हैदराबाद लेबोरेटरी ने बताया कि उसके पास ऐसा कोई मामला जांच के लिए आया ही नहीं। चंडीगढ़ लेबोरेटरी ने भी ऐसा ही जवाब दिया।
कांग्रेस मीडिया सेल के चेयरमैन रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि शिवराज सिंह चौहान ने हर किसी को बचाने की पूरी कोशिश की। विधानसभा में झूठ बोला। ये विधानसभा की मानहानि का भी मामला है।
शिवराज दावा करते रहे हैं कि व्यापमं घोटाले को उन्होंने ही उजागर किया। लेकिन अब वे इस मुद्दे पर घिर गए हैं। दिग्विजय सिंह आरोप लगा रहे हैं कि शिवराज को बचाना बीजेपी और आरएसएस की मजबूरी है। कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह चुटकी लेते हुए कहते हैं कि बीजेपी-आरएसएस को डर है कि शिवराज पर कार्रवाई हुई तो वे उनकी पोल खोल देंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने व्यापमं घोटाले की जांच सीबीआई को सौंप दी है लेकिन शिवराज के ट्रैक रिकॉर्ड का हवाला देते हुए उनको हटाए जाने की मांग कर रही है। रणदीप सुरजेवाला प्रधानमंत्री से शिवराज को बर्खास्त करने की मांग करते हुए कहते हैं कि जब तक शिवराज को हटाया नहीं जाता और सुप्रीम कोर्ट निगरानी नहीं करती तब तक निष्पक्ष जांच संभव नहीं।
31 मार्च 2011 को विधानसभा में शिवराज सिंह चौहान से पूछा गया कि व्यापमं की जांच के लिए गठित समिति ने अब तक कितने फ़र्ज़ी अभ्यार्थियों की पहचान की गई है? जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि आज के दिनांक तक किसी भी फ़र्ज़ी अभ्यार्थी की पहचान नहीं की गई है। लेकिन 19 नवंबर 2009 को दर्ज की गई एफआईआर में 40 फ़र्ज़ी अभ्यार्थियों को नामजद किया जा चुका था।
इसी तरह 23 फ़रवरी 2012 को शिवराज ने विधानसभा को बताया कि मेडिकल छात्रों के दस्तावेज़ और फ़ोटो की जांच के लिए सेंट्रल फ़ोरेंसिक लेबोरेटरी हैदराबाद को भेजा गया है। जबकि व्हिसलब्लोअर आशीष चतुर्वेदी को आरटीआई में हैदराबाद लेबोरेटरी ने बताया कि उसके पास ऐसा कोई मामला जांच के लिए आया ही नहीं। चंडीगढ़ लेबोरेटरी ने भी ऐसा ही जवाब दिया।
कांग्रेस मीडिया सेल के चेयरमैन रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि शिवराज सिंह चौहान ने हर किसी को बचाने की पूरी कोशिश की। विधानसभा में झूठ बोला। ये विधानसभा की मानहानि का भी मामला है।
शिवराज दावा करते रहे हैं कि व्यापमं घोटाले को उन्होंने ही उजागर किया। लेकिन अब वे इस मुद्दे पर घिर गए हैं। दिग्विजय सिंह आरोप लगा रहे हैं कि शिवराज को बचाना बीजेपी और आरएसएस की मजबूरी है। कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह चुटकी लेते हुए कहते हैं कि बीजेपी-आरएसएस को डर है कि शिवराज पर कार्रवाई हुई तो वे उनकी पोल खोल देंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने व्यापमं घोटाले की जांच सीबीआई को सौंप दी है लेकिन शिवराज के ट्रैक रिकॉर्ड का हवाला देते हुए उनको हटाए जाने की मांग कर रही है। रणदीप सुरजेवाला प्रधानमंत्री से शिवराज को बर्खास्त करने की मांग करते हुए कहते हैं कि जब तक शिवराज को हटाया नहीं जाता और सुप्रीम कोर्ट निगरानी नहीं करती तब तक निष्पक्ष जांच संभव नहीं।
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