महाराष्ट्र से मजदूरों का पलायन : फैक्टरियों में रखा जा रहा है 'भूमिपुत्रों' को, शिवसेना दे रही है ट्रेनिंग

कोरोना वायरस की वजह से लगाए गए लॉकडाउन की शुरुआत के बाद से जहां महाराष्ट्र से मजदूरों का पलायन लगातार जारी है तो वहीं अब राज्य में कई जगहों पर शिवसेना नेताओं ने महाराष्ट्र के भूमिपुत्रों को दूसरे प्रांतों से आए मजदूरों की जगह पर काम पर लगने के लिए विशेष तैयारियां शुरू दी हैं.

मुंबई:

कोरोना वायरस की वजह से लगाए गए लॉकडाउन की शुरुआत के बाद से जहां महाराष्ट्र से मजदूरों का पलायन लगातार जारी है तो वहीं अब राज्य में कई जगहों पर शिवसेना नेताओं ने महाराष्ट्र के भूमिपुत्रों को दूसरे प्रांतों से आए मजदूरों की जगह पर काम पर लगने के लिए विशेष तैयारियां शुरू दी हैं. इसके लिए बाकायदा स्थानीय लोगों को ट्रेनिंग भी दी जा रही है.  महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा है कि कई जगहों पर उद्योगों की शुरुआत की जा रही है पर मजदूरों के पलायन के वजह से काम करने के लिए कोई मौजूद नहीं है, ऐसे में महाराष्ट्र के भूमिपुत्रों को इस मौके का इस्तेमाल कर काम पर लगना चाहिए ताकि महाराष्ट्र को वापस आत्मनिर्भर बनाया जा सके. 

गौरतलब है कि लॉकडाउन के बाद महाराष्ट्र से मजदूरों के पलायन के बीच 18 मई को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र के भूमिपुत्रों से खाली पड़े उद्योगों पर काम करने की अपील की थी. अब राज्य के कुछ जगहों पर शिवसेना स्थानीय लोगों को इसके लिए तैयार कर रही है. महाराष्ट्र के सोलापुर इलाके में इसके लिए एक अभियान की शुरुआत भी की गई है.  स्थानीय के शिवसेना नेता भाऊसाहेब आंधलकर ने बताया कि कोरोना के संकट में जो खाली काम पड़ा है, वहां पर महाराष्ट्र के भूमिपुत्र, युवक-युवती लगना चाहिए यही सपना मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का है जिसे हम पूरा करने जा रहे हैं. मिली जानकारी के मुताबिक सोलापुर के बारशी तालुका में ही 500 स्थानीय लोगों ने इसके लिए रजिस्ट्रेशन किया है. कई लोगों को मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों में लगा भी दिया गया है.

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ऐसी ही एक युवक ने बताया, 'अब मुझे नौकरी मिल गई है, इसके लिए मैं इन सभी लोगों का आभारी हूं. इसी तरह एक स्थानीय युवती ने भी कहा,  मेरा सिलेक्शन एक मैन्युफैक्चरिंग कंपनी में हो गया है, मुझे नौकरी मिल गई है.' CMIE के अनुसार लॉकडाउन के चलते मई महीने में देश में बेरोज़गारी दर 23.48 फीसदी रही है. अप्रैल महीने में 30 से कम उम्र के करीब ढाई लाख लोगों को काम से निकाला गया है. ऐसे में आने वाले दिनों में यह भी देखना होगा कि अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की कोशिश में जुटी सरकारें बेरोज़गारी के इस मुद्दे के लिए क्या हल निकालती हैं.