शिवसेना सांसद चंद्रकांत खैरे ने कहा है कि उनकी पार्टी मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर तटस्थ रहेगी.
नई दिल्ली:
टीडीपी के एनडीए गठबंधन से बाहर जाने के फैसले के बाद मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के मुद्दे पर गठबंधन के अंदर राजनीति तेज़ हो गई है. शिवसेना ने संकेत दिया है कि वह अविश्वास प्रस्ताव का न तो विरोध करेगी और न ही समर्थन करेगी.
मोदी सरकार से तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) अपने संबंध समाप्त कर चुकी है. ठीक ऐसे वक्त पर शिवसेना भी उसका साथ न देने की बात कह रही है. लोकसभा में टीडीपी के 16 और शिवसेना के 18 सांसद हैं. यदि अविश्वास प्रस्ताव आता है तो मोदी सरकार को इन 34 सांसदों का समर्थन नहीं मिलेगा.
एनडीटीवी से बातचीत में शिवसेना के वरिष्ठ लोकसभा सांसद और नेता चंद्रकांत खैरे ने कहा कि पार्टी अविश्वास प्रस्ताव के दौरान तटस्थ रहेगी. खैरे ने कहा कि इस बारे में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे जल्द ही अंतिम फैसले का ऐलान करेंगे. इसका सीधा मतलब यह हुआ कि अविश्वास प्रस्ताव के सवाल पर शिवसेना बीजेपी के साथ खड़ी फिलहाल नहीं दिखाई दे रही है.
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खैरे ने कहा कि टीडीपी के एनडीए छोड़ने के बावजूद बीजेपी लीडरशिप ने सहयोगी दलों से कोई बातचीत नहीं की है. उन्होंने इस बात पर नाराज़गी जताई कि टीडीपी के बाहर जाने के बाद भी शिवसेना लीडरशिप से बीजेपी नेतृत्व ने कोई संपर्क नहीं किया है.
VIDEO : लोकसभा चुनाव अपने दम पर लड़ेगी शिवसेना
खैरे ने कहा, "वाजपेयी ने 5 साल तक 24 पार्टियों के साथ सरकार चलाई थी. वाजपेयी महत्वपूर्ण मसलों पर बाला साहेब ठाकरे से सलाह-मशविरा किया करते थे. लेकिन मोदी सरकार में शिवसेना लीडरशिप से कोई बात ही नहीं करता है."
मोदी सरकार से तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) अपने संबंध समाप्त कर चुकी है. ठीक ऐसे वक्त पर शिवसेना भी उसका साथ न देने की बात कह रही है. लोकसभा में टीडीपी के 16 और शिवसेना के 18 सांसद हैं. यदि अविश्वास प्रस्ताव आता है तो मोदी सरकार को इन 34 सांसदों का समर्थन नहीं मिलेगा.
एनडीटीवी से बातचीत में शिवसेना के वरिष्ठ लोकसभा सांसद और नेता चंद्रकांत खैरे ने कहा कि पार्टी अविश्वास प्रस्ताव के दौरान तटस्थ रहेगी. खैरे ने कहा कि इस बारे में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे जल्द ही अंतिम फैसले का ऐलान करेंगे. इसका सीधा मतलब यह हुआ कि अविश्वास प्रस्ताव के सवाल पर शिवसेना बीजेपी के साथ खड़ी फिलहाल नहीं दिखाई दे रही है.
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खैरे ने कहा कि टीडीपी के एनडीए छोड़ने के बावजूद बीजेपी लीडरशिप ने सहयोगी दलों से कोई बातचीत नहीं की है. उन्होंने इस बात पर नाराज़गी जताई कि टीडीपी के बाहर जाने के बाद भी शिवसेना लीडरशिप से बीजेपी नेतृत्व ने कोई संपर्क नहीं किया है.
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खैरे ने कहा, "वाजपेयी ने 5 साल तक 24 पार्टियों के साथ सरकार चलाई थी. वाजपेयी महत्वपूर्ण मसलों पर बाला साहेब ठाकरे से सलाह-मशविरा किया करते थे. लेकिन मोदी सरकार में शिवसेना लीडरशिप से कोई बात ही नहीं करता है."