यह ख़बर 05 मई, 2014 को प्रकाशित हुई थी

असम हिंसा के लिए मोदी को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता : शिवसेना

मुंबई:

असम हिंसा के लिए नरेंद्र मोदी को जिम्मेदार ठहराने के लिए कांग्रेस की आलोचना करते हुए आज शिवसेना ने कहा कि ऐसे आरोप वे लोग लगा रहे हैं, जिन्होंने देश को ‘बांट दिया’। इन लोगों को रामदेव के आश्रम में योग करना चाहिए क्योंकि ये अपना मानसिक संतुलन खो चुके हैं। भाजपा के सबसे पुराने सहयोगी दल ने कांग्रेस के नेता कपिल सिब्बल पर भी निशाना साधते हुए कहा कि ‘उन्होंने जिस तरह से असम में बांग्लादेशी मुस्लिमों का मुद्दा उठाया, उस तरह से उन्हें कश्मीर में हिंदुओं का मामला उठाते कभी नहीं देखा गया।

शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय में कहा गया, जो लोग कह रहे हैं कि मोदी की वजह से भारत टुकड़ों में टूट जाएगा, वे वही लोग हैं, जिन्होंने देश को बांटा है। मोदी को गालियां देने के बजाय कांग्रेसियों को आत्मचिंतन करना चाहिए। शिवसेना ने कहा, इस तरह के आरोप लगाने वालों को या तो रामदेव के आश्रम में विपासन (योग) करना चाहिए या फिर 16 मई को चुनावी नतीजों के बाद उन्हें मनोरोग अस्पताल में भर्ती हो जाना चाहिए, क्योंकि वे लोग अपना दिमागी संतुलन खो बैठे हैं।
 
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस ने असम में हिंसा के लिए भाजपा और प्रधानमंत्री पद के लिए उसके उम्मीदवार पर हमला बोलते हुए कहा था कि यह उनके द्वारा वोट हासिल करने के लिए किए गए ‘सांप्रदायिक ध्रुवीकरण’ का नतीजा था। डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड के वार्ता विरोधी धड़े आईके सोंगबीजीत के उग्रवादियों द्वारा असम के दो जिलों में किए गए हमलों में 32 लोग मारे गए हैं और कई अन्य घायल हुए हैं। इन हमलों में हजारों लोग बेघर हो गए।

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शिवसेना ने कहा, असम जल रहा है। कश्मीर घाटी में शांति स्थापित नहीं हो पा रही। कपिल सिब्बल ने जिस तरह असम में बांग्लादेशी मुस्लिमों का मुद्दा उठाया, उस तरह कभी उन्हें कश्मीर में हिन्दुओं का मुद्दा उठाते हमने नहीं देखा है। इसने कहा, सिब्बल और उमर अब्दुल्ला (जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री) को यह डर है कि यदि मोदी सत्ता में आते हैं तो बांग्लादेशियों को असम से बाहर निकाल दिया जाएगा और हिन्दू पंडितों को सम्मान के साथ कश्मीर में वापस लाया जाएगा। शिवसेना ने आरोप लगाया कि अब्दुल्ला ने कश्मीर में हिन्दुओं की दशा की जानबूझकर अवहेलना की।