शिवसेना के मंत्री ने साधा BJP पर निशाना, कहा - अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी राजनीतिक प्रतिशोध नहीं

रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी को कथित रूप से एक इंटीरियर डिजाइनर को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में गिरफ्तार किये जाने के संदर्भ में सत्तारूढ़ शिवसेना ने बुधवार को विपक्षी भाजपा के उन आरोपों को खारिज किया.

शिवसेना के मंत्री ने साधा BJP पर निशाना, कहा - अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी राजनीतिक प्रतिशोध नहीं

रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी - फाइल फोटो

मुंबई:

रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी को कथित रूप से एक इंटीरियर डिजाइनर को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में गिरफ्तार किये जाने के संदर्भ में सत्तारूढ़ शिवसेना ने बुधवार को विपक्षी भाजपा के उन आरोपों को खारिज किया, जिनमें ''प्रतिशोध की राजनीति'' और ''प्रेस की स्वतंत्रता को कुचलने'' का आरोप लगाया गया था.

भाजपा पर निशाना साधते हुए शिवसेना के मंत्री अनिल परब ने आरोप लगाया कि गोस्वामी ने एक ‘मराठी' कारोबारी के साथ धोखाधड़ी की थी, जिसकी चलते दो साल पहले वह आत्महत्या करने को मजबूर हुआ.

शिवसेना सांसद संजय राउत ने बुधवार को कहा कि महाराष्ट्र विकास आघाडी (एमवीए) सरकार ने पिछले साल सत्ता में आने के बाद से कभी किसी के खिलाफ बदले की भावना से कार्रवाई नहीं की. राउत ने यह दावा भी किया कि राज्य सरकार या किसी राजनीतिक दल का गोस्वामी की गिरफ्तारी से कोई लेना-देना नहीं है.

गोस्वामी को 2018 में 53 वर्ष के एक इंटीरियर डिजाइनर को कथित रूप से आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में बुधवार को रायगढ़ पुलिस ने मुंबई में उनके घर से गिरफ्तार किया. राउत से जब गोस्वामी की गिरफ्तारी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘महाराष्ट्र में कानून की उचित प्रक्रिया का पालन किया जाता है. पुलिस के पास यदि सबूत हैं तो वह किसी के भी खिलाफ कार्रवाई कर सकती है। राज्य सरकार ने बदले की भावना से कार्रवाई नहीं की है.''

उन्होंने कहा, ‘‘महाराष्ट्र में अराजकता नहीं है और कानून का पालन किया जाता है.'' शिवसेना नेता ने कहा कि मुंबई पुलिस एक पेशेवर बल है. उन्होंने कहा, ‘‘यह मीडिया के लिए काला दिन नहीं है. पत्रकारों को भी नैतिकताओं का पालन करना चाहिए. मीडिया कोई जांच एजेंसी या अदालत नहीं है. ऐसा सर्वोच्च अदालत का कहना है. हम सभी पत्रकार हैं. जो भी गलत करेगा, पुलिस सजा देगी.''

शिवसेना के राज्यसभा सदस्य ने कहा, ‘‘राज्य सरकार या किसी राजनीतिक दल का गिरफ्तारी से कोई लेना-देना नहीं है.'' भाजपा के आरोपों पर पलटवार करते हुए शिवसेना प्रवक्ता और राज्य के संसदीय कार्य मंत्री अनिल परब ने संवाददाताओं से कहा कि इंटीरियर डिजाइनर के लिखे सुसाइड नोट में गोस्वामी के नाम का उल्लेख है.

गोस्वामी को ''भाजपा का तोता'' करार देते हुए परब ने कहा, ''इसमें कोई प्रतिशोध की राजनीति नहीं है। भाजपा अर्नब गोस्वामी को ऐसे बचाने का प्रयास कर रही है जैसे उनकी पार्टी के कार्यकर्ता को पुलिस ले गई है.'' उन्होंने पूछा, ''एक मराठी महिला विधवा हो गई.... और मामले की जांच की जा रही है. इसमें क्या गलत है? भाजपा उन्हें (अर्नब) बचाने का प्रयास क्यों कर रही है? इसे महाराष्ट्र में आपातकाल जैसे हालात कैसे कहा जा सकता है जबकि आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोपी को गिरफ्तार किया गया है?''

परब ने कहा कि भाजपा उन दो लोगों की गिरफ्तारी पर क्यों चुप थी, जिनका नाम नाइक के सुसाइड नोट में था और उन्हें गिरफ्तार किया गया. वहीं, महाराष्ट्र के मंत्री और राकांपा नेता नवाब मलिक ने गोस्वामी की गिरफ्तारी को ‘इंडियाज मोस्ट वांटेड का भाग-2' कहा और इस नाम के एक अपराध आधारित टीवी शो के एंकर के खिलाफ कार्रवाई की याद दिलाई जिन पर अपनी पत्नी की हत्या का आरोप लगा था.

महाराष्ट्र के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री ने किसी का नाम नहीं लिया लेकिन उनका इशारा ‘इंडियाज मोस्ट वांटेड' शो के एंकर रहे सुहैब इलियासी की ओर माना जा रहा है जिन पर मार्च 2000 में अपनी पत्नी की हत्या का आरोप लगा था. हालांकि दिल्ली उच्च न्यायालय ने अक्टूबर 2018 में इलियासी को बरी कर दिया था. मलिक ने ट्वीट किया, ‘‘यहां इंडियाज मोस्ट वांटेड का भाग-2 है। ऐसा ही कर रहा एक और एंकर अब आत्महत्या के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है.''

इस बीच महाराष्ट्र भाजपा के अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने गिरफ्तारी की निंदा करते हुए कहा कि महाराष्ट्र सरकार, कांग्रेस और उसके नेताओं के खिलाफ बोलने के लिए गोस्वामी की आवाज दबाने के मकसद से यह कार्रवाई की गयी है. पाटिल ने नागपुर में संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह लोकतंत्र और बोलने की आजादी पर हमला है. अर्नब गोस्वामी आपके (सरकार के), कांग्रेस और पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ बोलते हैं. लेकिन इस आधार पर आप उन्हें गिरफ्तार नहीं कर सकते.''

उन्होंने कहा, ‘‘बंद हो चुके इस (खुदकुशी के लिए उकसाने के) मामले को फिर से खोलने का मतलब है कि गोस्वामी की आवाज को दबाने की कोशिश है. भाजपा और इस देश की जनता इसे सहन नहीं करेगी.'' पाटिल ने कहा, ‘‘बोलने की आजादी पर लगाम कसने की इस तरह की कोशिशें आपातकाल के दौरान भी की गयी थीं और इंदिरा गांधी को आने वाले चुनावों में हार का सामना करना पड़ा था.''

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उन्होंने कहा, ‘‘हम इस घटना की निंदा करते हैं और मेरे नेतृत्व में नागपुर में इसके खिलाफ प्रदर्शन किया जाएगा. महाराष्ट्र में अन्य स्थानों पर भी ऐसे प्रदर्शन होंगे.''



(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)