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This Article is From Apr 20, 2019

पहले वकालत की, फिर पहुंचे CJI की कुर्सी तक, जानें- चीफ जस्टिस रंजन गोगोई का पूरा सफर

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई (Ranjan Gogoi) एक बार फिर चर्चा में हैं. एक महिला ने उनके उपर यौन शोषण का आरोप लगाया है. हालांकि सीजेआई ने अपने ऊपर लगे यौन शोषण के आरोप को खारिज कर दिया है.

पहले वकालत की, फिर पहुंचे CJI की कुर्सी तक, जानें- चीफ जस्टिस रंजन गोगोई का पूरा सफर
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई (Ranjan Gogoi) एक बार फिर चर्चा में हैं.
नई दिल्ली:

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई (Ranjan Gogoi) एक बार फिर चर्चा में हैं. एक महिला ने उनके उपर यौन शोषण का आरोप लगाया है. हालांकि सीजेआई ने अपने ऊपर लगे यौन शोषण के आरोप को खारिज कर दिया है. उन्होंने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि इन आरोपों का जवाब देने के लिए इतना नीचे उतरना चाहिए'. सीजेआई रंजन गोगोई (Ranjan Gogoi) ने कहा कि न्यायपालिका खतरे में है. अगले हफ्ते कई महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई होनी है, इसीलिये जानबूझकर ऐसे आरोप लगाए गए. सीजेआई ने कहा कि क्या चीफ जस्टिस के 20 सालों के कार्यकाल का यह ईनाम है? 20 सालों की सेवा के बाद मेरे खाते में सिर्फ  6,80,000 रुपये हैं. कोई भी मेरा खाता चेक कर सकता है. 

रंजन गोगोई ने दिए कई अहम फैसले
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई (Ranjan Gogoi) कई अहम फैसले दे चुके हैं. चुनाव के दौरान उम्मीदवारों को संपत्ति, शिक्षा व चल रहे मुकदमों का ब्योरा देने के लिए आदेश देने वाली पीठ में रंजन गोगोई भी शामिल थे. मई 2016 में जस्टिस रंजन गोगोई (Ranjan Gogoi) और जस्टिस पीसी पंत की पीठ ने मुंबई हाईकोर्ट के 2012 के उस ऑर्डर को निरस्त कर दिया था, जिसमें कौन बनेगा करोड़पति शो से अमिताभ की कमाई के असेसमेंट पर रोक लगाई गई थी. दरअसल इनकम टैक्स विभाग ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर आरोप लगाया था कि 2002-03 के दौरान हुई कमाई पर अमिताभ ने 1.66 करोड़ रुपये कम टैक्स चुकाया था. इसके अलावा उन्होंने हाल ही में अयोध्या जमीन विवाद पर मध्यस्थता समेत कई बड़े फैसले सुनाये हैं. 

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वकालत करते हुए बने जज
18 नवंबर 1954 को जन्मे रंजन गोगोई (Ranjan Gogoi) ने 1978 में बतौर वकील अपना पंजीकरण कराया. फिर गुवाहाटी हाई कोर्ट में वकालत करने लगे. फिर 28 फरवरी 2001 को वह स्थाई जज बने. 9 सितंबर 2010 को उनका ट्रांसफर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के लिए हुआ. 12 फरवरी 2011 को जस्टिस रंजन गोगोई (Ranjan Gogoi) पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस हुए. फिर 23 अप्रैल 2012 को वह सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश नियुक्त हुए.

काटजू ने फैसले पर उठाया था सवाल
एक फरवरी 2011 को केरल में ट्रेन में 23 वर्षीय युवती के साथ बलात्कार की घटना हुई थी. यह मामला सुर्खियों में रहा था. आरोपी ने बोगी में बलात्कार के बाद युवती को ट्रेन से फेंक दिया, जिसमें उसकी मौत हो गई थी. बलात्कार के इस बहुचर्चित केस में निचली अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी, जिस पर हाई कोर्ट ने रोक लगा दी थी. जब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो जस्टिस रंजन गोगोई की पीठ ने आरोपी को फांसी के फंदे से पहुंचने से रोक दिया और सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया. यह आदेश उन्होंने 15 अक्टूबर 2016 को दिया था. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले की सामाजिक कार्यकर्ताओं के स्तर से तीखी आलोचना हुई. खुद पूर्व न्यायाधीश जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने शीर्ष अदालत के फैसले को गलत बताते हुए ब्लॉग लिखकर सवाल खड़े किए थे. इस पर जस्टिस रंजन गोगोई (Ranjan Gogoi) ने केस में बहस के लिए और फैसले में ‘बुनियादी खामियों' को बताने के लिए व्यक्तिगत रूप से जस्टिस काटजू को तलब किया था.  

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