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This Article is From Jul 28, 2016

सातवां वेतन आयोग : प्रमोशन और इंक्रीमेंट पर लगी शर्त बनी बड़े विवाद की वजह, प्रक्रिया पर बातचीत जारी

सातवां वेतन आयोग : प्रमोशन और इंक्रीमेंट पर लगी शर्त बनी बड़े विवाद की वजह, प्रक्रिया पर बातचीत जारी
प्रमोशन और इंक्रीमेंट के नए नियम से कर्मचारी नाराज
नई दिल्ली: सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने से संबंधित गजट नोटिफिकेशन सरकार ने जारी कर दिया है। इस नोटिफिकेशन के जारी होने के साथ ही केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के मन में उठ रहे कई सवालों के जवाब मिल गए हैं।

जहां कुछ मुद्दों पर सरकार कर्मचारियों के विरोध के बाद बातचीत के लिए तैयार हो गई है और समितियों का गठन किया गया है, वहीं वेतन आयोग की सिफारिशों में एक और मुद्दा ऐसा है कि जिस पर कर्मचारियों खास तौर पर तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की नाराजगी खुलकर सामने आई है वह है एमएसीपी।

एमएसीपी यानी मोडीफाइड एर्श्‍योड करियर प्रोगेशन। इसके तहत ऐसे केंद्रीय कर्मचारियों का वार्षिक अप्रेजल या इंक्रीमेंट नहीं होगा, जिनका प्रदर्शन अपेक्षा के अनुरूप नहीं होगा। वित्‍त मंत्रालय ने सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के क्रियान्‍वयन संबंधी अधिसूचना जारी करते हुए कहा कि अब कर्मचारियों के प्रमोशन और वार्षिक इंक्रीमेंट के संबंधित बेंचमार्क का नया स्‍तर अब 'अच्‍छा' से 'बहुत अच्‍छा' किया गया है।

मंत्रालय ने यह भी कहा कि पहले की तरह 10 साल, 20 और 30 साल की सेवा से संबंधित मोडीफाइड एर्श्‍योड करियर प्रोगेशन (एमएसीपी) स्‍कीम को जारी रखा जाएगा। जिन कर्मचारियों का प्रदर्शन एमएसीपी के लिए निर्धारित बेंचमार्क या पहले 20 सालों की सेवा के दौरान नियमित प्रमोशन के लिए अपेक्षित नहीं पाया जाएगा तो ऐसे कर्मचारियों की वार्षिक इंक्रीमेंट को रोक देने संबंधित सिफारिश को 'स्‍वीकार' कर लिया गया है।

डीओपीटी मंत्रालय (कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्रालय) के सूत्र बता रहे हैं कि भले ही यह एमएसीपी नोटिफाई कर दिया गया है, लेकिन हम अभी भी इस मुद्दे पर बातचीत की प्रक्रिया में हैं। लेकिन वरिष्ठ अधिकारी अभी भी यह साफ नहीं कर पा रहे हैं कि क्या इसे फिलहाल होल्ड (रोका गया है) पर रखा गया है या नहीं।

सातवें वेतन आयोग पर आए नोटिफिकेशन में प्रमोशन और प्रदर्शन को जोड़ने के फैसले पर सवाल उठने लगे हैं। कर्मचारी संगठन इसका तीखा विरोध कर रहे हैं।

बता दें कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों से पहले ही कई कर्मचारी संगठन नाराज थे। सरकार की अपील पर हड़ताल चार महीने टली थी। अब यह संगठन नोटिफिकेशन में प्रमोशन और प्रदर्शन को जोड़ने के फैसले के खिलाफ खड़े हो गए हैं। इनका कहना है कि पहले ही प्रमोशन के नियम पेशेवर नहीं हैं और अब ज्यादा परेशानी होगी।

कर्मचारियों की नाराजगी सबसे ज्यादा प्रमोशन के नए मापदंडों को लेकर है। उनका कहना है कि नए नियमों के लागू होने के बाद किसी भी कर्मचारी को तभी तरक्की मिलेगी जब उसका काम 'वेरी गुड' की श्रेणी में आएगा। अब तक "गुड" आने से ही तरक्की का रास्ता खुल जाता था।

ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के सेक्रेटरी जनरल शिवगोपाल मिश्रा ने कहा, "पे कमीशन के इन दोनों सुझावों को सरकार ने जिस तरह से स्वीकार किया है वह गलत है। हमने पे कमीशन के सामने भी इसका विरोध किया था। अब हम अपना विरोध सरकार के सामने रखेंगे।"

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