
सेंटिनलीज जनजाति ने की अमेरिकी पर्यटक की हत्या
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अपने द्वीप पर किसी दूसरे दुश्मन मानते हैं सेंटिनलीज आदिवासी
इस जनजाति से ही मिलने गया था अमेरिकी पर्यटक
पुलिस ने इस मामले में किया है सात को गिरफ्तार
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दिल्ली विश्वविद्यालय में मानवविज्ञान विभाग के प्रोफेसर पी सी जोशी ने कहा कि यह जनजाति अब भी बाहरी दुनिया से पूरी तरह कटी हुई है और भारतीय मानवविज्ञान सोसायटी के प्रयासों के बावजूद इनसे संपर्क नहीं किया जा सका. सोसायटी ने उनके लिए केले, नारियल छोड़कर अप्रत्यक्ष तौर पर उनसे संपर्क की कोशिश की थी. प्रोफेसर ने कहा कि हमने कोशिश की थी लेकिन जनजाति ने कोई रुचि नहीं दिखाई. वे अंडमान में सबसे निजी आदिवासियों में से एक हैं. वे आक्रामक हैं और बाहरी लोगों पर तीरों व पत्थरों से हमला करने के लिए पहचाने जाते हैं.
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मुझे नहीं पता कि यह अमेरिकी द्वीप पर क्यों गया लेकिन यह जनजाति लंबे समय से अलग-थलग रह रही है जिसके लिए मैं उन्हें जिम्मेदार नहीं ठहराता क्योंकि वे इसे घुसपैठ और खतरे के तौर पर देखते हैं. साल 2006 में समुद्र में शिकार करने के बाद दो भारतीय मछुआरों ने सोने के लिए इस द्वीप के समीप अपनी नाव बांध दी थी लेकिन नाव की रस्सी ढीली होकर तट की ओर बह गई जिससे उनकी हत्या कर दी गई. बहरहाल, चाऊ की मौत के समय के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है लेकिन जो मछुआरे उन्हें द्वीप के समीप लेकर गए थे उन्होंने पुलिस को बताया कि चाऊ इससे पहले पांच बार अंडमान निकोबार द्वीप समूह जा चुका थे.
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उसने पोर्ट ब्लेयर से 102 किलोमीटर दूर सेंटीनल द्वीप पर रहने वाले सेंटिनलीज आदिवासियों से मिलने की इच्छा जाहिर की थी. उन्होंने बताया कि चाऊ ने चिडियाटापू से एक डोंगी किराए पर ली और 16 नवम्बर को इस द्वीप के निकट पहुंच गया. फिर उसने आगे की यात्रा अपनी डोंगी में की. वह इससे पहले 14 नवम्बर को इसी तरह की एक नाकाम कोशिश कर चुका था. उसके लापता होने के बारे में पहली बार उन मछुआरों को पता चला था जो उन्हें द्वीप के समीप लेकर गए थे. उन्होंने इस यात्रा के बारे में चाऊ के दोस्त को बताया जिसने अमेरिकी वाणिज्य दूतावास में सूचना दी. पुलिस ने बताया कि आईपीसी की धारा 302 और 304 के तहत हमफ्रीगंज पुलिस थाने में दो प्राथमिकियां दर्ज की गई और अमेरिकी नागरिक को द्वीप तक ले जाने वाले सात मछुआरों को गिरफ्तार कर लिया गया.
VIDEO: नाव डूबने से 21 लोगों की मौत.
जोशी ने कहा कि यह चिंता का विषय है कि इस द्वीप को हाल ही में दर्शकों के लिए खोला गया. यहां सेंटिनलीज सैकड़ों वर्षों से रहते आए हैं. उन्होंने कहा कि ये लोग पर्यटकों के देखने के लिए आदर्श नहीं हैं. ये रोगों के लिहाज से अति संवेदनशील हैं और किसी तरह के संपर्क से ये विलुप्त हो सकते हैं. हम कुछ डॉलर के लिए उनसे संपर्क नहीं बना सकते. हमें उनकी पसंद का सम्मान करना होगा. खास बात यह है कि हाल तक आयलैंड पर बाहरी लोगों का जाना मना था. इस साल एक बड़ा कदम उठाते हुये सरकार ने संघ शासित इलाकों में इस द्वीप सहित 28 अन्य द्वीपों को 31 दिसम्बर, 2022 तक प्रतिबंधित क्षेत्र आज्ञापत्र (आरएपी) की सूची से बाहर कर दिया था. आरएपी को हटाने का आशय यह हुआ कि विदेशी लोग सरकार की अनुमति के बिना इन द्वीपों पर जा सकेंगे. (इनपुट भाषा से)
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