आम आदमी पार्टी (AAP) के वरिष्ठ नेता और वकील एचएस फुल्का ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. एचएस फुल्का (HS Phoolka Resigns From AAP) ने दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) को अपना इस्तीफा सौंपा. एचएस फुल्का ने खुद ट्वीट कर यह जानकारी दी. साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि वह इस मामले में शुक्रवार को दिल्ली के प्रेस क्लब में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके विस्तार से कारण बताएंगे. फुल्का का इस्तीफा पंजाब में आम आदमी पार्टी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है.
I have resigned from AAP & handed over resignation to Kejriwal ji today. Though he asked me not to resign but I insisted.
— H S Phoolka (@hsphoolka) January 3, 2019
Will be briefing media tomorrow at 4pm at Press Club, Raisina Rd, New Delhi to explain the Reason of leaving AAP & my further plans.
बता दें कि एचएस फुलका मार्च 2017 में पंजाब में नेता विपक्ष बने थे, लेकिन कुछ ही समय बाद उन्होंने नेता विपक्ष पद से यह कहकर इस्तीफा दे दिया था कि वह 1984 के केस पर फोकस करना चाहते हैं. साल 2015 में गुरु ग्रंथ साहिब से हुई बेअदबी के मामले में पंजाब सरकार के ढीले रवैय्ये के विरोध में उन्होंने विधायकी से भी इस्तीफा दे दिया था. काफी समय से फुलका आम आदमी पार्टी की बैठकों में नज़र नहीं आ रहे थे.
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फुल्का ने सार्वजनिक तौर पर कहा था कि अगर आम आदमी पार्टी का कांग्रेस से गठबंधन हुआ तो मैं इस्तीफा दे दूंगा. हालांकि अब आम आदमी पार्टी का कांग्रेस से गठबंधन होने नहीं जा रहा. ऐसे में फुलका ने फिर क्यों आम आदमी पार्टी से इस्तीफा दिया है?
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संभावना यह है कि जब एचएस फुलका ना नेता विपक्ष रहे ना ही विधायक रहे और पार्टी आलाकमान से उनकी कोई खास करीबी भी नहीं रही तो वो AAP में रहकर क्या करेंगे? इससे अच्छा पार्टी से अलग होकर सिख समाज के लिए लड़ेंगे तो ज़्यादा साख बनेगी. इसलिए उन्होंने पार्टी से इस्तीफ़ा दिया हो.
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बता दें कि 1984 के सिख विरोधी दंगे में हाल ही फैसला आया और सज्जन कुमार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है. आपको बता दें कि फुल्का (HS Phoolka) ने दंगा पीड़ितों का केस लड़ने के लिए कोई फीस नहीं ली. एचएस फुल्का की इस लड़ाई में उनकी पत्नी मनिंदर कौर हर कदम पर साथ खड़ी रहीं. कहा जाता है कि फुल्का के सहयोग के लिए उन्होंने अपनी नौकरी तक छोड़ दी.
VIDEO: यह फैसला पीड़ितों के लिए जीत की तरह - एचएस फुल्का
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