नई दिल्ली:
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाए जाने के ऐलान से बहुत पहले से एक डिफेंस लैब में कुछ विज्ञानी योग पर रिसर्च कर रहे हैं। ये जानने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिर योग के पीछे का विज्ञान क्या है, इंसानी शरीर और बायोकेमिस्ट्री योग के प्रति कैसे रिएक्ट करते हैं?
सेना अपने जवानों को सियाचिन से लेकर थार मरुस्थल में अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए ख़ास प्राणायाम करा रही है। NDTV के साइंस एडिटर पल्लव बागला ने इस डिफेंस लैब का जायज़ा लिया।
आज की तारीख में भारतीय सेना फिटनेस के लिए हिमायल से लेकर समंदर में मौजूद जंगी जहाजों तक योग का अभ्यास करती है। हालांकि इसके पहले कि योग को उनकी ट्रेनिंग में शामिल किया जाए इसकी अहमियत को वैज्ञानिक तरीके से परखा जाना जरूरी है। इसके लिए एक छोटी सी रक्षा शोध लैबोरेट्री योग के पीछे के विज्ञान को समझने की कोशिश कर रही है। यहां आधुनिक योगी से हाईटेक मशीने जुड़ी हैं और इसके जरिए योग के आसनों के दौरान दिल की धड़कनों, ईसीजी, सांस लेने के पैटर्न और तंत्रिकाओं पर होने पर असर पर नज़र रखी जा रही है। ये सारी कवायद पौराणिक जानकारियों से आधुनिक विज्ञान को जोड़ने की है।
वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि जब कोई शख्स योग करता है तो उसे फिजिकल ट्रेनिंग के मुकाबले काफी कम ऊर्जा खर्च करनी होती है, जबकि इसका फायदा सामान्य एक्सरसाइज के मुकाबले काफी ज्यादा होता है।
योग खासकर उन सैनिकों के लिए ज्यादा मददगार हैं जो पनडुब्बियों पर तैनात होते हैं। क्योंकि उनके पास रहने और एक्सरसाइज के लिए ज्यादा जगह नहीं होती, इसके अलावा योग दिन और रात के शारीरिक क्रियाओं को बेहतर और सामान्य रखने में मददगार होता है क्योंकि बंद जगह में रहने की वजह से वे इसका फर्क नहीं कर पाते और लगातार ऐसे माहौल में रहने की वजह से कई तरह के भ्रम होना बेहद आम बात है। वैज्ञानिकों ने इस बारे में हुई कई शोधों के नतीजों में ये पाया है कि सैनिकों के लिए योग हर तरह से फायदेमंद है।
डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ फिजियोलॉजी एंड एलाइड साइंसेज के वैज्ञानिक ने शोध के बाद उन आसनों की पहचान की है जिसकी मदद से ऊंचे हिमालय के माहौल का सामना किया जा सके। रक्षा विशेषज्ञों ने खास तरह के प्राणायामों का एक क्रम तय किया है जिससे सियाचिन में पाकिस्तानी खतरे का सामना कर रहे सैनिकों के फेफड़े की क्षमता में बढ़ोतरी होती है।
इसके अलावा योग के कुछ चुने हुए आसनों की मदद से थार मरुस्थल सरीखे किसी बेहद गर्म जगह में खुद को उसके मुताबिक ढालने में भी आसानी होती है। वैज्ञानिकों की टीम जवानों के बायोकेमिकल मापदंडों की जांच के बाद इस नतीजे पर पहुंची कि सही तरीके से योग करने पर खून में फायदेमंद हारमोन्स का स्तर भी बढ़ जाता है।
सेना अपने जवानों को सियाचिन से लेकर थार मरुस्थल में अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए ख़ास प्राणायाम करा रही है। NDTV के साइंस एडिटर पल्लव बागला ने इस डिफेंस लैब का जायज़ा लिया।
आज की तारीख में भारतीय सेना फिटनेस के लिए हिमायल से लेकर समंदर में मौजूद जंगी जहाजों तक योग का अभ्यास करती है। हालांकि इसके पहले कि योग को उनकी ट्रेनिंग में शामिल किया जाए इसकी अहमियत को वैज्ञानिक तरीके से परखा जाना जरूरी है। इसके लिए एक छोटी सी रक्षा शोध लैबोरेट्री योग के पीछे के विज्ञान को समझने की कोशिश कर रही है। यहां आधुनिक योगी से हाईटेक मशीने जुड़ी हैं और इसके जरिए योग के आसनों के दौरान दिल की धड़कनों, ईसीजी, सांस लेने के पैटर्न और तंत्रिकाओं पर होने पर असर पर नज़र रखी जा रही है। ये सारी कवायद पौराणिक जानकारियों से आधुनिक विज्ञान को जोड़ने की है।
वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि जब कोई शख्स योग करता है तो उसे फिजिकल ट्रेनिंग के मुकाबले काफी कम ऊर्जा खर्च करनी होती है, जबकि इसका फायदा सामान्य एक्सरसाइज के मुकाबले काफी ज्यादा होता है।
योग खासकर उन सैनिकों के लिए ज्यादा मददगार हैं जो पनडुब्बियों पर तैनात होते हैं। क्योंकि उनके पास रहने और एक्सरसाइज के लिए ज्यादा जगह नहीं होती, इसके अलावा योग दिन और रात के शारीरिक क्रियाओं को बेहतर और सामान्य रखने में मददगार होता है क्योंकि बंद जगह में रहने की वजह से वे इसका फर्क नहीं कर पाते और लगातार ऐसे माहौल में रहने की वजह से कई तरह के भ्रम होना बेहद आम बात है। वैज्ञानिकों ने इस बारे में हुई कई शोधों के नतीजों में ये पाया है कि सैनिकों के लिए योग हर तरह से फायदेमंद है।
डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ फिजियोलॉजी एंड एलाइड साइंसेज के वैज्ञानिक ने शोध के बाद उन आसनों की पहचान की है जिसकी मदद से ऊंचे हिमालय के माहौल का सामना किया जा सके। रक्षा विशेषज्ञों ने खास तरह के प्राणायामों का एक क्रम तय किया है जिससे सियाचिन में पाकिस्तानी खतरे का सामना कर रहे सैनिकों के फेफड़े की क्षमता में बढ़ोतरी होती है।
इसके अलावा योग के कुछ चुने हुए आसनों की मदद से थार मरुस्थल सरीखे किसी बेहद गर्म जगह में खुद को उसके मुताबिक ढालने में भी आसानी होती है। वैज्ञानिकों की टीम जवानों के बायोकेमिकल मापदंडों की जांच के बाद इस नतीजे पर पहुंची कि सही तरीके से योग करने पर खून में फायदेमंद हारमोन्स का स्तर भी बढ़ जाता है।
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