प्रतीकात्मक तस्वीर
जम्मू:
जम्मू कश्मीर के एक स्कूल ने अपनी उस नोटबुक को वापस लेने का फैसला किया, जिसके कवर पर भारत और पाकिस्तान के राष्ट्रीय ध्वज छपे हैं। स्थानीय लोगों के विरोध के चलते स्कूल को नोटबुक वापस लेने का फैसला करना पड़ा।
अभिभावकों ने किया विरोध
सीमावर्ती आरएस पुरा सेक्टर स्थित होली क्रॉस कान्वेंट हाईस्कूल ने छात्रों को नोटबुक वितरित की थीं, जिनके कवर पर भारत और पाकिस्तान के राष्ट्रीय ध्वज छपे हैं। अभिभावकों और स्थानीय लोगों ने इस नोटबुक के विरोध में व्यापक प्रदर्शन किया।
आरएस पुरा के उपमंडल पुलिस अधिकारी हरजीत सिंह ने कहा, 'हमें लोगों से शिकायत मिली थी कि स्कूल अधिकारियों ने ऐसी नोटबुक प्रकाशित और वितरित की हैं जिनके कवर पर भारत और पाकिस्तान के झंडे छपे हैं । हमने इस पर स्कूल प्रधानाचार्य को बुलाकर उनका रुख जाना।' उन्होंने बताया कि प्रधानाचार्य ने सूचित किया कि उनका इरादा लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का नहीं था। उन्होंने सोचा कि उनके कदम से अशांत क्षेत्र में शांति आएगी।
क्षेत्र में शांति लाना था मकसद
सिंह ने कहा, 'प्रधानाचार्य ने कहा कि झंडे छापने के पीछे स्कूल का मकसद क्षेत्र में शांति लाने का था। हमने उनसे कहा कि इस तरह की चीजों के लिए यह सही तरीका नहीं है।' अधिकारी ने कहा कि प्रधानाचार्य ने अपनी गलती महसूस की और वह नोटबुक वापस लेने तथा तत्काल इनका और प्रकाशन रोकने पर सहमत हो गए।
अभिभावकों ने किया विरोध
सीमावर्ती आरएस पुरा सेक्टर स्थित होली क्रॉस कान्वेंट हाईस्कूल ने छात्रों को नोटबुक वितरित की थीं, जिनके कवर पर भारत और पाकिस्तान के राष्ट्रीय ध्वज छपे हैं। अभिभावकों और स्थानीय लोगों ने इस नोटबुक के विरोध में व्यापक प्रदर्शन किया।
आरएस पुरा के उपमंडल पुलिस अधिकारी हरजीत सिंह ने कहा, 'हमें लोगों से शिकायत मिली थी कि स्कूल अधिकारियों ने ऐसी नोटबुक प्रकाशित और वितरित की हैं जिनके कवर पर भारत और पाकिस्तान के झंडे छपे हैं । हमने इस पर स्कूल प्रधानाचार्य को बुलाकर उनका रुख जाना।' उन्होंने बताया कि प्रधानाचार्य ने सूचित किया कि उनका इरादा लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का नहीं था। उन्होंने सोचा कि उनके कदम से अशांत क्षेत्र में शांति आएगी।
क्षेत्र में शांति लाना था मकसद
सिंह ने कहा, 'प्रधानाचार्य ने कहा कि झंडे छापने के पीछे स्कूल का मकसद क्षेत्र में शांति लाने का था। हमने उनसे कहा कि इस तरह की चीजों के लिए यह सही तरीका नहीं है।' अधिकारी ने कहा कि प्रधानाचार्य ने अपनी गलती महसूस की और वह नोटबुक वापस लेने तथा तत्काल इनका और प्रकाशन रोकने पर सहमत हो गए।
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