भारतीय सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
आदेशों का ‘जानबूझकर उल्लंघन' करने पर आम्रपाली समूह पर बड़ी कार्रवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कंपनी के 100 बिस्तर वाले अस्पताल, बैंक खातों, कार्यालय तथा फर्मों की इमारत और एक गोवा स्थित ‘बेनामी' विला को कुर्क करने का आदेश दिया. शीर्ष अदालत ने मुख्य वित्तीय अधिकारी चंदर वाधवा से तीन सप्ताह के भीतर रजिस्ट्री में 11.69 करोड़ रुपये जमा करने को कहा. अदालत ने वैधानिक ऑडिटर अनिल मित्तल से 47 लाख रुपये का भुगतान करने को भी कहा. न्यायालय ने आम्रपाली समूह को कंपनी के कोष से खरीदी गईं 86 आलीशान कारों और एसयूवी के लिए तीसरे पक्ष का हित जोड़ने से रोक दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली ग्रुप और उनके डायरेक्टर द्वारा अदालत के आदेश के बावजूद कंपनी की डिटेल नहीं देने पर सख्त नाराजगी जताई. कोर्ट ने कहा है कि अदालत के आदेश की लगातार अवहेलना हो रही है. डायरेक्टर्स ये बताएं कि कंटेप्ट मामले में क्यों न उनको सजा दी जाए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फॉरेंसिक ऑडिटर्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि आम्रपाली ग्रुप का ग्रेटर नोएडा में हॉस्पिटल है.
सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली ग्रुप की फॉरेंसिक जांच की अंतरिम रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया
ग्रुप की ऐसी प्रॉपर्टी को बेचा जाना चाहिए ताकि पैसे मिल सकें. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जो तथ्य सामने आए हैं उससे साफ होता है कि आम्रपाली ग्रुप ने न तो ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी को पैसे दिए और न ही बॉयर्स के पैसे से फ्लैट तैयार किए गए. बल्कि पैसे से नई-नई कंपनियां खोली गईं और उन कंपनियों के नाम पर फंड डायवर्ट किया किया गया. ऐसे में आम्रपाली ग्रुप कंपनी की ऐसी संपत्तियों को बेचा जाए.
जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस यूयू ललित की बेंच ने कहा पहली नजर में ये दिखता है कि गंभीर किस्म का फ्रॉड हुआ है. इसमें डायरेक्टर्स के साथ चीफ फाइनांशियल ऑफिसर और कंपनी के ऑडिटर भी शामिल थे. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि आम्रपाली ग्रुप के ग्रेटर नोएडा स्थित अस्पताल, गोवा स्थित विला, नोएडा स्थित उसके टावर जिसमें ऑफिस है और जिस कंपनी गौरी सुता में आम्रपाली का पैसा डायवर्ट हुआ है उसकी प्रॉपर्टी और अकाउंट अटैच किया जाए. अदालत ने कहा है कि गोवा स्थित विला को अटैच करने के बाद उसे बेचा जाए. अदालत ने आम्रपाली के एमडी अनिल शर्मा और अन्य दो डायरेक्टर के प्रॉपर्टी डिटेल मांगे हैं और जानना चाहा है कि उनके पास कितना फंड हैं.
VIDEO: सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली पर और कसा शिकंजा
सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली ग्रुप और उनके डायरेक्टर द्वारा अदालत के आदेश के बावजूद कंपनी की डिटेल नहीं देने पर सख्त नाराजगी जताई. कोर्ट ने कहा है कि अदालत के आदेश की लगातार अवहेलना हो रही है. डायरेक्टर्स ये बताएं कि कंटेप्ट मामले में क्यों न उनको सजा दी जाए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फॉरेंसिक ऑडिटर्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि आम्रपाली ग्रुप का ग्रेटर नोएडा में हॉस्पिटल है.
सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली ग्रुप की फॉरेंसिक जांच की अंतरिम रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया
ग्रुप की ऐसी प्रॉपर्टी को बेचा जाना चाहिए ताकि पैसे मिल सकें. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जो तथ्य सामने आए हैं उससे साफ होता है कि आम्रपाली ग्रुप ने न तो ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी को पैसे दिए और न ही बॉयर्स के पैसे से फ्लैट तैयार किए गए. बल्कि पैसे से नई-नई कंपनियां खोली गईं और उन कंपनियों के नाम पर फंड डायवर्ट किया किया गया. ऐसे में आम्रपाली ग्रुप कंपनी की ऐसी संपत्तियों को बेचा जाए.
जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस यूयू ललित की बेंच ने कहा पहली नजर में ये दिखता है कि गंभीर किस्म का फ्रॉड हुआ है. इसमें डायरेक्टर्स के साथ चीफ फाइनांशियल ऑफिसर और कंपनी के ऑडिटर भी शामिल थे. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि आम्रपाली ग्रुप के ग्रेटर नोएडा स्थित अस्पताल, गोवा स्थित विला, नोएडा स्थित उसके टावर जिसमें ऑफिस है और जिस कंपनी गौरी सुता में आम्रपाली का पैसा डायवर्ट हुआ है उसकी प्रॉपर्टी और अकाउंट अटैच किया जाए. अदालत ने कहा है कि गोवा स्थित विला को अटैच करने के बाद उसे बेचा जाए. अदालत ने आम्रपाली के एमडी अनिल शर्मा और अन्य दो डायरेक्टर के प्रॉपर्टी डिटेल मांगे हैं और जानना चाहा है कि उनके पास कितना फंड हैं.
VIDEO: सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली पर और कसा शिकंजा
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