ओडिशा सरकार की जगन्नाथ मंदिर की 35,000 एकड़ जमीन बेचने की प्रक्रिया पर रोक की मांग को लेकर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई. जन स्वाभिमान वेलफेयर सोसायटी नाम की संस्था की ओर से वकील शशांक शेखर झा ने याचिका दाखिल की है. सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया है कि सरकारी मैनेजमेंट की जगह सुप्रीम कोर्ट के द्वारा नियुक्ति समिति मैनेजमेंट को देखे. इसके साथ ही याचिका में कहा गया कि मंदिर के मौजूदा प्रबंधन बोर्ड की जगह न्यायिक निरीक्षण समिति नियुक्त की जाए. जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि धार्मिक परंपराओं का पालन किया जा रहा है. इसके अलावा इस याचिका में हर धर्म से जुड़ी जगह के लिए मैनेजमेंट की एक समान नीति बनाई जाने की भी मांग की गई है.
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इससे पहले पिछले हफ्ते ही भारतीय जनता पार्टी ने 18 मार्च को ओडिशा सरकार के कथित निर्णय की निंदा की थी, जिसके तहत राज्य के भीतर और बाहर भगवान जगन्नाथ की 34,000 एकड़ भूमि को बेचा जा रहा है. हालांकि श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन ने इस आरोप का खंडन किया था. भाजपा के नेता प्रतिपक्ष पी के नायक ने कहा कि कानून मंत्री प्रताप जेना ने 16 मार्च को विधानसभा में बताया था कि बीजद सरकार ने भगवान जगन्नाथ के स्वामित्व वाली 34,000 एकड़ भूमि को बेचने का निर्णय लिया है.
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मंदिर प्रशासन के मुख्य प्रशासक कृष्ण कुमार ने स्पष्ट किया कि जो भूमि लंबे समय से कई लोगों के अवैध कब्जे में है, उन विवादों का मंदिर प्रशासन द्वारा समाधान किया जा रहा है और यह दो दशक पहले बनाई गई नीति के तहत किया जा रहा है ताकि भगवान जगन्नाथ की भूमि सुरक्षित रह सके.
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