यह ख़बर 05 दिसंबर, 2012 को प्रकाशित हुई थी

सुप्रीम कोर्ट का फैसला : प्रणब का राष्ट्रपति बनना सही, संगमा की अर्जी रद्द

खास बातें

  • राष्ट्रपति चुनाव के दौरान बीजेपी समर्थित उम्मीदवार पीए संगमा ने यह आपत्ति दर्ज कराई थी कि नामांकन के वक्त प्रणब मुखर्जी भारतीय सांख्यिकी संस्थान, कोलकाता में लाभ के पद पर आसीन थे।
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रपति चुने जाने के खिलाफ पीए संगमा की याचिका खारिज कर दी है। राष्ट्रपति पद का चुनाव हारने वाले पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पीए संगमा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर प्रणब मुखर्जी के नामांकन को चुनौती दी थी।

राष्ट्रपति चुनाव के दौरान बीजेपी समर्थित उम्मीदवार संगमा ने यह आपत्ति दर्ज कराई थी कि नामांकन के वक्त प्रणब मुखर्जी भारतीय सांख्यिकी संस्थान, कोलकाता में लाभ के पद पर आसीन थे।

संगमा ने राष्ट्रपति पर जाली हस्ताक्षर करने का आरोप भी लगाया था, तब संगमा यह मामला लेकर निर्वाचन आयोग के पास पहुंचे थे, लेकिन निर्वाचन आयोग ने कहा था कि अगर संगमा की कोई शिकायत है, तो उनके लिए चुनाव के बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका करना ठीक रहेगा।

सुप्रीम कोर्ट की पांच-सदस्यीय संविधान पीठ ने बहुमत के आधार पर दिए निर्णय में राष्ट्रपति के रूप में प्रणब मुखर्जी के निर्वाचन को सही ठहराते हुए संगमा की अर्जी खारिज कर दी।

मुख्य न्यायाधीश अल्तमस कबीर की अध्यक्षता वाली पीठ ने दो के मुकाबले तीन से फैसला दिया कि संगमा की याचिका नियमित सुनवाई के योग्य नहीं है। मुख्य न्यायाधीश ने अपनी और न्यायमूर्ति पी सदाशिवम और एस एस निझ्झर की ओर से फैसला सुनाते हुए कहा, चुनाव याचिका विचारयोग्य नहीं है। यह खारिज की जाती है। भिन्न मत रखने वाले अन्य दो न्यायाधीशों ने अपना निर्णय अलग से सुनाते हुए राय दी कि यह सुनवाई योग्य है।

न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर ने अपनी और न्यायमूर्ति राजन गोगोई की ओर से फैसला सुनाते हुए कहा कि चूंकि यह आरोप लगाया गया था कि मुखर्जी भारतीय सांख्यिकी संस्थान के अध्यक्ष के रूप में लाभ के पद पर थे, इसलिए उनका विचार है कि संगमा द्वारा दायर याचिका सुनवाई योग्य है। उन्होंने कहा कि वह अगले सप्ताह बताएंगे कि उनकी राय मुख्य न्यायाधीश सहित बहुमत से अलग क्यों है।

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(कुछ अंश भाषा से भी)