नई दिल्ली:
बलात्कार के दोषियों को समाज के अनेक वर्गों से फांसी की सजा देने की मांग उठ रही है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने एक गर्भवती महिला से बलात्कार करने और उसकी दादी सास को मारने के मामले में एक युवक को सुनाई गई मौत की सजा को इस आधार पर उम्रकैद में तब्दील कर दिया कि आरोपी नशे में था और दिमागी रूप से संतुलित नहीं था।
दिल्ली में चलती बस में 23-वर्षीय छात्रा से बलात्कार से महज तीन दिन पहले शीर्ष अदालत ने विचार व्यक्त किया था कि किसी अपराध को दुर्लभ से दुर्लभतम श्रेणी में रखने से पहले आरोपी की मानसिक स्थिति की जांच की जानी चाहिए।
शीर्ष अदालत ने पुणे में एक महिला के साथ बलात्कार करने और उसकी रिश्तेदार की नृशंसता से हत्या करने के दोषी की मौत की सजा को इस आधार पर बदल दिया कि अपराध करते समय वह नशे में था। न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार (अब सेवानिवृत्त) और न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर की पीठ ने कहा था कि अपराध को दुर्लभ से दुर्लभतम की श्रेणी में रखने से पहले अपराध को अंजाम देने के तरीके और आरोपी की मानसिक स्थिति का अध्ययन किया जाना चाहिए।
पीठ ने कहा था, मृत्युदंड देने के लिए सीआरपीसी की धारा 354 (3) के तहत विशेष कारणों में केवल अपराध और उसके अनेक पहलू ही नहीं, बल्कि अपराधी और उसकी पृष्ठभूमि भी आधार होते हैं। इस मामले में दोषी साईनाथ कैलाश अभंग ने 10 सितंबर, 2007 को पुणे में महिला के घर में घुसकर उसकी जान ले ली थी। तब साईनाथ की उम्र 23 साल थी। उसके बाद उसने महिला की बाईं कलाई और दाएं हाथ की चार अंगुलियां निर्दयतापूर्वक काट दी थीं।
दिल्ली में चलती बस में 23-वर्षीय छात्रा से बलात्कार से महज तीन दिन पहले शीर्ष अदालत ने विचार व्यक्त किया था कि किसी अपराध को दुर्लभ से दुर्लभतम श्रेणी में रखने से पहले आरोपी की मानसिक स्थिति की जांच की जानी चाहिए।
शीर्ष अदालत ने पुणे में एक महिला के साथ बलात्कार करने और उसकी रिश्तेदार की नृशंसता से हत्या करने के दोषी की मौत की सजा को इस आधार पर बदल दिया कि अपराध करते समय वह नशे में था। न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार (अब सेवानिवृत्त) और न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर की पीठ ने कहा था कि अपराध को दुर्लभ से दुर्लभतम की श्रेणी में रखने से पहले अपराध को अंजाम देने के तरीके और आरोपी की मानसिक स्थिति का अध्ययन किया जाना चाहिए।
पीठ ने कहा था, मृत्युदंड देने के लिए सीआरपीसी की धारा 354 (3) के तहत विशेष कारणों में केवल अपराध और उसके अनेक पहलू ही नहीं, बल्कि अपराधी और उसकी पृष्ठभूमि भी आधार होते हैं। इस मामले में दोषी साईनाथ कैलाश अभंग ने 10 सितंबर, 2007 को पुणे में महिला के घर में घुसकर उसकी जान ले ली थी। तब साईनाथ की उम्र 23 साल थी। उसके बाद उसने महिला की बाईं कलाई और दाएं हाथ की चार अंगुलियां निर्दयतापूर्वक काट दी थीं।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
मौत की सजा, रेप और हत्या, सुप्रीम कोर्ट, पुणे बलात्कार केस, Death Penalty, Rape And Murder, Supreme Court