नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट और हाइकोर्ट के जजों की नियुक्ति के लिए बने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग की वैधता पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार पर कई सवाल दागे। कोर्ट ने सरकार से कहा कि पहले वो साबित करे कि एनजेएसी बेहतर है और इससे न्यायपालिका की आजादी में कोई खलल नहीं पड़ेगा।
5 जजों की संविधान पीठ के सामने केंद्र सरकार की ओर से एटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि सुनवाई 11 जजों की पीठ को दी जाए क्योंकि 1993 का कोलोजियम सिस्टम सही नहीं था।
संविधान में चीफ जस्टिस को प्राथमिकता नहीं दी गई लेकिन कोर्ट ने कहा कि सरकार ने कभी कोलेजियम सिस्टम को चुनौती नहीं दी, पहले सरकार हमें संतुष्ट करे कि आयोग से न्यायपालिका की आजादी से छेड़छाड़ नहीं होगी और ये एक बेहतर सिस्टम है।
इस मामले में शुरू से ही मोदी सरकार और सुप्रीम कोर्ट आमने सामने खड़े हैं। चीफ जस्टिस प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर कह चुके हैं कि फैसला आने तक वो आयोग की बैठक में भाग नहीं लेंगे।
5 जजों की संविधान पीठ के सामने केंद्र सरकार की ओर से एटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि सुनवाई 11 जजों की पीठ को दी जाए क्योंकि 1993 का कोलोजियम सिस्टम सही नहीं था।
संविधान में चीफ जस्टिस को प्राथमिकता नहीं दी गई लेकिन कोर्ट ने कहा कि सरकार ने कभी कोलेजियम सिस्टम को चुनौती नहीं दी, पहले सरकार हमें संतुष्ट करे कि आयोग से न्यायपालिका की आजादी से छेड़छाड़ नहीं होगी और ये एक बेहतर सिस्टम है।
इस मामले में शुरू से ही मोदी सरकार और सुप्रीम कोर्ट आमने सामने खड़े हैं। चीफ जस्टिस प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर कह चुके हैं कि फैसला आने तक वो आयोग की बैठक में भाग नहीं लेंगे।
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