यह ख़बर 04 अप्रैल, 2011 को प्रकाशित हुई थी

'न्यायाधीशों की नियुक्ति प्रणाली पर पुनर्विचार हो'

खास बातें

  • केंद्र सरकार ने सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय से कहा कि उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति सम्बंधी प्रणाली पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए।
नई दिल्ली:

केंद्र सरकार ने सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय से कहा कि उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति सम्बंधी प्रणाली पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए, क्योंकि मौजूदा कॉलेजियम प्रक्रिया उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी है। सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति दीपक वर्मा और न्यायमूर्ति बीएस चौहान की पीठ ने इस मामले को प्रधान न्यायाधीश एसएच कपाड़िया के पास भेज दिया, ताकि वह केंद्र सरकार की इस याचिका को किसी उचित पीठ के पास सुनवाई के लिए भेज सकें। महान्यायवादी जी. वाहनवती ने न्यायालय से कहा कि यद्यपि केंद्र सरकार न्यायिक नियुक्तियों से निपटने के लिए एक व्यापक कानून तैयार कर रही है, लेकिन इसमें समय लग सकता है, क्योंकि इसके लिए संविधान संशोधन किया जाना है। वाहनवती ने न्यायालय से कहा कि वह न्यायाधीशों की नियुक्ति से सम्बंधित 1993 के अपने फैसले पर पुनर्विचार करे। सर्वोच्च न्यायालय ने न्यायिक नियुक्तियों के मामले में सरकार से सारे अधिकार ले लिए थे और इन अधिकारों को एक कॉलेजियम प्रणाली को दे दिए थे। इस प्रणाली में सर्वोच्च न्यायालय के पांच वरिष्ठतम न्यायाधीश (प्रधान न्यायाधीश व चार अन्य) सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों में न्यायिक नियुक्तियों पर निर्णय लेते हैं।


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