गोवा के गवर्नर सत्यपाल मलिक को मेघालय शिफ्ट कर दिया गया है. यह दो सालों में तीसरा ट्रांसफर है. महाराष्ट्र में गवर्नर में भगत सिंह कोश्यारी को गोवा का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है. मलिक को पिछले साल अक्टूबर में ही गोवा का गवर्नर बनाया गया था. उसके पहले वो जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल के तौर पर सेवा दे रहे थे, उनके कार्यकाल के दौरान ही जम्मू-कश्मीर से विशेष दर्जा वापस लेते हुए आर्टिकल 370 हटाया गया था और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांट दिया गया था. अगस्त में केंद्र के इस फैसले के दो महीने बाद ही मलिक को गोवा भेज दिया गया था. जम्मू-कश्मीर में एक साल तक राज्यपाल रहने के पहले वो बिहार के गवर्नर थे.
हाल ही में मलिक और गोवा में बीजेपी सरकार में मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत के बीच राज्य में कोरोनावायरस के हालात को लेकर कुछ असहमतियां देखी गई थीं. सावंत ने कहा था कि राज्यपाल मलिक ने मीडिया पर राज्य में कोरोनावायरस पर गलत जानकारी देने का आरोप लगाया था. इसपर मलिक ने इसका खंडन किया था. उन्होंने न्यूज एजेंसी ANI से कहा था कि 'मुख्यमंत्री की ओर से यह एक अनुचित बयान दिया गया है. मैंने मीडिया, प्रिंट मीडिया या सोशल मीडिया के खिलाफ कुछ नहीं कहा है. मीडिया हमारी शक्ति है और यह हमारी कमियों की जानकारी देता है. जानकारी के आधार पर मैंने एक मीटिंग बुलाई थी. यह कहना गलत है, अनुचित है. किसी भी सभ्य व्यक्ति को ऐसा नहीं कहना चाहिए.'
इसके पहले इसी महीने में गवर्नर ने नए राजभवन को लेकर सरकार की योजना की भी आलोचना की थी. उन्होंने कहा था कि महामारी के प्रभाव के बीच में ऐसा करना 'अतार्किक और अहंकारी' कदम होगा.
जम्मू-कश्मीर में अपने कार्यकाल के दौरान सत्यपाल मलिक का नाम कई विवादों में सामने आया था. खासकर उस मामले की बहुत चर्चा हुई थी, जब 2018 में उन्हें पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती की ओर से उमर अब्दुल्ला की पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस की ओर से सरकार बनाने के दावे वाली चिट्ठी नहीं मिली थी. उन्होंने चिट्ठी न मिलने के पीछे खराब फैक्स मशीन को बताया था. उन्होंने कहा था कि चूंकि उस दिन ऑफिस में कोई स्टाफ नहीं था और फैक्स मशीन खराब थी, इसलिए उन्हें मुफ्ती के दावे वाली चिट्ठी मिली ही नहीं.
Video: सत्यपाल मलिक ने बताया गोवा कैसे बना कोरोना फ्री राज्य
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