हैदराबाद:
श्री सत्य साईं सेंट्रल ट्रस्ट ने अपनी कार्य पद्धति को लेकर आंध्र प्रदेश सरकार को अभी अपनी रिपोर्ट नहीं सौंपी है। इस बीच सरकार ने पिछले महीने ट्रस्ट के मंदिर परिसर में भारी मात्रा में नकदी बरामद होने की जांच तेज कर दी है। राज्य सरकार ने 27 जून को ट्रस्ट से उसकी गतिविधियों, वित्तीय स्थिति और भविष्य की योजनाओं पर रिपोर्ट मांगी थी। धार्मिक मामलों के विभाग के सूत्रों के अनुसार ट्रस्ट ने अब तक रिपोर्ट नहीं सौंपी है। विभाग की ओर से ट्रस्ट को 10 दिन का अल्टीमेटम दिया गया है। बताया जाता है कि ट्रस्ट के सदस्य विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं, जिसे जल्द ही सरकार को सौंप दिया जाएगा। ट्रस्ट के एक सदस्य वी. श्रीनिवासन ने कहा कि सरकार ने जो भी जानकारी मांगी है, वह सब मुहैया कराई जाएगी। सूत्रों के अनुसार, रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद ही सरकार इस बारे में कोई निर्णय लेगी कि ट्रस्ट को अधिग्रहित किया जाए या इसकी कार्य पद्धति की निगरानी के लिए कोई समिति बनाई जाए। सत्य साईं बाबा द्वारा 1972 में इस ट्रस्ट की स्थापना किए जाने के बाद यह पहली बार है जब सरकार ने इसके मामलों में हस्तक्षेप किया है। धार्मिक अधिनियम के तहत इसे कई मामलों में छूट प्राप्त है। सरकार ने इस आधार पर अपने हस्तक्षेप को सही ठहराया है कि 24 अप्रैल को साईं बाबा के निधन के बाद ट्रस्ट वित्तीय अनियमितता सहित कई आरोपों का सामना कर रहा है। ट्रस्ट की कार्य पद्धति में पारदर्शिता के अभाव ने भी उस पर सवाल खड़े किए हैं। इस बीच, अनंतरपुर पुलिस ने ट्रस्ट के मंदिर परिसर से 19 जून को जब्त की गई 35 लाख रुपये की जांच तेज कर दी है। जांचकार्ताओं को ट्रस्ट के इस दावे पर यकीन नहीं है कि यह राशि उसकी नहीं है, बल्कि बाबा के भक्तों ने उनकी समाधि बनाने के लिए दान में दी।
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