केंद्र सरकार ने गुरुवार को एक बार फिर यह बात दोहराई कि केंद्रीय विद्यालय में कक्षा छह से आठ के लिए तीसरी भाषा जर्मन की जगह संस्कृत ही होगी।
सरकार का यह बयान तब आया, जब केंद्रीय विद्यालयों में तीसरी भाषा के रूप में जर्मन की जगह संस्कृत करने के फैसले के कारण उठे बवंडर को लेकर एक हलफनामा दाखिल करने के लिए देश के महान्यायवादी मुकुल रोहतगी ने न्यायालय का आदेश मांगा।
सरकार के इस कदम का उन बच्चों के माता-पिता विरोध कर रहे हैं, जिन्होंने जर्मन भाषा चुनी है।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एचएल दत्तू की खंडपीठ के समक्ष मामले का विस्तृत ब्यौरा देते हुए रोहतगी ने एक हलफनामा दाखिल करने की अनुमति मांगी।
वीएस रामनाथन ने सरकार के इस फैसले का विरोध करते हुए न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, जिसके बाद उनकी याचिका के आधार पर न्यायमूर्ति अनिल आर दवे ने पिछले सप्ताह केंद्रीय विद्यालय संगठन तथा केंद्र सरकार को एक नोटिस जारी किया था।
केंद्रीय विद्यालय से जर्मन भाषा हटाने का प्रभाव उन 70 हजार छात्रों पर पड़ेगा, जिन्होंने यह भाषा चुनी है। साथ ही जर्मन भाषा के 700 शिक्षकों की नौकरी भी खतरे में पड़ जाएगी, जो केंद्रीय विद्यालयों में जर्मन भाषा पढ़ा रहे हैं।
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