यह ख़बर 09 मई, 2013 को प्रकाशित हुई थी

सलमान खुर्शीद ने चीन के विदेशमंत्री से मुलाकात की

खास बातें

  • विदेशमंत्री सलमान खुर्शीद और उनके चीनी समकक्ष वांग यी के बीच गुरुवार को हुई दो घंटे लंबी बैठक में भारत एवं चीन ने देपसांग घाटी में चीनी सैनिकों की हालिया घुसपैठ पर चर्चा की।
बीजिंग:

विदेशमंत्री सलमान खुर्शीद और उनके चीनी समकक्ष वांग यी के बीच गुरुवार को हुई दो घंटे लंबी बैठक में भारत एवं चीन ने देपसांग घाटी में चीनी सैनिकों की हालिया घुसपैठ पर चर्चा की।

वांग ने खुर्शीद का स्वागत करते हुए कहा कि मौजूदा समय में चीन-भारत संबंध में अच्छी गति देखी गई है और दोनों पक्ष इस साल एक दूसरे के यहां होने वाले नेताओं के दौरे की तैयारियां कर रहे हैं।

वह इस महीने के आखिर में होने वाले चीन के प्रधानमंत्री ली क्विंग के भारत दौरे और साल के आखिर में होने वाले भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के चीन दौरे का हवाला दे रहे थे।

उन्होंने कहा कि इन दो दौरों से हमें अपने द्विपक्षीय संबंधों में विकास का महत्वपूर्ण अवसर मिलेगा।

खुर्शीद के चीन दौरे को महत्वपूर्ण करार देते हुए वांग ने कहा, ‘‘मौजूदा समय में दोनों देशों को ली के भारत दौरे की अच्छी तैयारियां करने तथा रणनीतिक एवं सहयोगात्मक साझेदारी को आगे बढ़ाने के समान लक्ष्य के लिए काम करना होगा।’’ दोनों नेताओं ने बाद में रात्रिभोज पर बातचीत को जारी रखा।

वांग के साथ बातचीत के अलावा खुर्शीद चीन के नए प्रधानमंत्री ली से भी मुलाकात कर सकते हैं जो इस महीने भारत यात्रा की योजना बना रहे हैं। पद संभालने के बाद यह उनका पहला विदेश दौरा होगा।

उधर, चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ ने खुर्शीद के बीजिंग दौरे के संदर्भ में कहा, ‘‘दोनों पक्ष चीन-भारत संबंधों और अंतरराष्ट्रीय मामलों में सहयोग पर विचारों का आदान-प्रदान करेंगे।’’ उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों ने उम्मीद जताई है कि चर्चा को जारी रखा जाए और सीमावर्ती इलाकों में शांति एवं स्थिरता को संयुक्त रूप से कायम रखा जाए।

दौलत बेग ओल्डी की घटना का हवाला देते हुए हुआ ने कहा, ‘‘हाल ही में चीन और भारत के बीच सीमा पर कुछ गतिरोध था तथा दोनों पक्षों ने इसका उचित ढंग से निपटारा किया जिससे दोनों के हितों की रक्षा होती है।’

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प्रवक्ता ने कहा, ‘‘चीन और भारत ने सीमा मुद्दों पर कई तरह की व्यवस्थाएं बनाई हैं। इनमें विशेष प्रतिनिधि स्तर की बैठक और विचार-विमर्श एवं सहयोग संबंधी बैठक की व्यवस्थाएं शामिल हैं। हम उम्मीद करते हैं कि इन व्यवस्थाओं के जरिये भारतीय पक्ष के साथ तार्किक और परस्पर स्वीकार्य समाधान निकाला जा सकेगा।’’