नई दिल्ली:
‘हिंदू आतंक’ संबंधी विवादास्पद टिप्पणी को लेकर भाजपा के हमले की जद में आए गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने बुधवार को बजट सत्र की पूर्व संध्या पर एक बयान जारी किया और अपने बयान पर माफी मांगी। उन्होंने कहा कि उनकी टिप्पणियों को गलत समझा गया।
लोकसभा में सदन के नेता शिंदे का बहिष्कार करने की भाजपा ने घोषणा की थी। शिंदे ने इस बात को रेखांकित किया कि उनकी आतंकवाद को धर्म से या राजनीतिक संगठनों से जोड़ने की कोई मंशा नहीं थी।
उन्होंने कहा, ‘पिछले माह जयपुर में दिए गए मेरे बयान ने गलतफहमियां पैदा कर दीं। इसे ऐसा समझा गया कि मैं आतंकवाद को किसी विशेष धर्म से जोड़ रहा हूं और कुछ राजनीतिक संगठनों पर आतंकी शिविरों के आयोजन में शामिल होने का आरोप लगा रहा हूं।’
शिंदे ने कहा, ‘मेरी आतंक को किसी धर्म से जोड़ने की कोई मंशा नहीं थी। जयपुर में मेरे संक्षिप्त भाषण में आतंक को संगठनों से जोड़ने का कोई आधार नहीं था।’ उन्होंने कहा, ‘चूंकि मेरे बयान केा लेकर विवाद पैदा हुआ। इसलिए मैं यह स्पष्टीकरण जारी कर रहा हूं और उन लोगों से खेद जाहिर करता हूं जिन्होंने मेरे बयान से आहत महसूस किया।’
गृहमंत्री को भाजपा की ओर से इस बयान को लेकर कड़े हमले का सामना करना पड़ रहा था। भाजपा ने गुरुवार से शुरू हो रहे बजट सत्र में इस मुद्दे को उठाने का इरादा जाहिर किया था।
शिंदे ने कहा, ‘मैं यह सुनिश्चित करने के लिए कि भारत के सामाजिक ताने बाने में समरसता कायम रहे, अपनी क्षमता के अनुसार बेहतर तरीके से अपने कर्तव्यों का पालन जारी रखूंगा।’
इससे पहले, लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार द्वारा बजट सत्र से एक दिन पहले आहूत सर्वदलीय बैठक के बाद वरिष्ठ बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा था कि सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही प्रयास करेंगे कि सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से संचालित करने के लिए क्या किया जाए।
बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने इस भड़काऊ बयान को लेकर शिंदे के इरादों पर सवाल उठाया था। उन्होंने शिंदे की टिप्पणी के विरोध में संसद मार्ग पर प्रदर्शन कर रहे पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि गृहमंत्री की यह टिप्पणी वोट बैंक की राजनीति के लिए देश को बांटने की साजिश है।
इससे पहले, बजट सत्र शुरू होने से एक दिन पहले बीजेपी ने बुधवार को चेतावनी दी थी कि गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे जब तक बीजेपी पर 'हिन्दू आतंकी' शिविर चलाने के अपने बयान को वापस लेकर माफी नहीं मांगते, संसद की कार्यवाही चल पाना संभव नहीं है।
संसद सत्र शुरू होने से पहले लोकसभा अध्यक्ष द्वारा बुलाई जाने वाली पारंपरिक सर्वदलीय बैठक के बाद सुषमा ने संवाददाताओं से कहा था कि हम संसद की कार्यवाही सुचारू रूप से चलाने के पक्ष में हैं। लेकिन सदन अच्छे से चले, इसके लिए पूर्व शर्त यह है कि शिंदे ने हम पर जो आरोप लगाए हैं, पहले उसका निराकरण हो।
विपक्ष की नेता के अनुसार उन्होंने मीरा कुमार से कहा कि शिंदे गृहमंत्री होने के साथ ही लोकसभा में सदन के नेता भी हैं। मैंने लोकसभा अध्यक्ष से कहा कि शिंदे ने आरोप लगाया है कि बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हिन्दू और भगवा आतंकी प्रशिक्षण शिविर चलाते हैं। अगर ऐसा है, तो मुख्य विपक्षी दल बीजेपी के सदस्य के रूप में मेरा विपक्ष का नेता रहना और बीजेपी सदस्यों का सदन में आना उचित नहीं रहेगा। अत: सदन को सुचारू रूप से चलाने के लिए पहले इस बात का निराकरण किया जाए।
उन्होंने कहा, अगर हम आतंकी शिविर चलाते हैं, तो हमारे साथ आतंकियों का व्यवहार किया जाए। ऐसे में हम संसद के सदस्य कैसे रह सकते हैं?
(इनपुट एजेंसी से भी)
लोकसभा में सदन के नेता शिंदे का बहिष्कार करने की भाजपा ने घोषणा की थी। शिंदे ने इस बात को रेखांकित किया कि उनकी आतंकवाद को धर्म से या राजनीतिक संगठनों से जोड़ने की कोई मंशा नहीं थी।
उन्होंने कहा, ‘पिछले माह जयपुर में दिए गए मेरे बयान ने गलतफहमियां पैदा कर दीं। इसे ऐसा समझा गया कि मैं आतंकवाद को किसी विशेष धर्म से जोड़ रहा हूं और कुछ राजनीतिक संगठनों पर आतंकी शिविरों के आयोजन में शामिल होने का आरोप लगा रहा हूं।’
शिंदे ने कहा, ‘मेरी आतंक को किसी धर्म से जोड़ने की कोई मंशा नहीं थी। जयपुर में मेरे संक्षिप्त भाषण में आतंक को संगठनों से जोड़ने का कोई आधार नहीं था।’ उन्होंने कहा, ‘चूंकि मेरे बयान केा लेकर विवाद पैदा हुआ। इसलिए मैं यह स्पष्टीकरण जारी कर रहा हूं और उन लोगों से खेद जाहिर करता हूं जिन्होंने मेरे बयान से आहत महसूस किया।’
गृहमंत्री को भाजपा की ओर से इस बयान को लेकर कड़े हमले का सामना करना पड़ रहा था। भाजपा ने गुरुवार से शुरू हो रहे बजट सत्र में इस मुद्दे को उठाने का इरादा जाहिर किया था।
शिंदे ने कहा, ‘मैं यह सुनिश्चित करने के लिए कि भारत के सामाजिक ताने बाने में समरसता कायम रहे, अपनी क्षमता के अनुसार बेहतर तरीके से अपने कर्तव्यों का पालन जारी रखूंगा।’
इससे पहले, लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार द्वारा बजट सत्र से एक दिन पहले आहूत सर्वदलीय बैठक के बाद वरिष्ठ बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा था कि सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही प्रयास करेंगे कि सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से संचालित करने के लिए क्या किया जाए।
बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने इस भड़काऊ बयान को लेकर शिंदे के इरादों पर सवाल उठाया था। उन्होंने शिंदे की टिप्पणी के विरोध में संसद मार्ग पर प्रदर्शन कर रहे पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि गृहमंत्री की यह टिप्पणी वोट बैंक की राजनीति के लिए देश को बांटने की साजिश है।
इससे पहले, बजट सत्र शुरू होने से एक दिन पहले बीजेपी ने बुधवार को चेतावनी दी थी कि गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे जब तक बीजेपी पर 'हिन्दू आतंकी' शिविर चलाने के अपने बयान को वापस लेकर माफी नहीं मांगते, संसद की कार्यवाही चल पाना संभव नहीं है।
संसद सत्र शुरू होने से पहले लोकसभा अध्यक्ष द्वारा बुलाई जाने वाली पारंपरिक सर्वदलीय बैठक के बाद सुषमा ने संवाददाताओं से कहा था कि हम संसद की कार्यवाही सुचारू रूप से चलाने के पक्ष में हैं। लेकिन सदन अच्छे से चले, इसके लिए पूर्व शर्त यह है कि शिंदे ने हम पर जो आरोप लगाए हैं, पहले उसका निराकरण हो।
विपक्ष की नेता के अनुसार उन्होंने मीरा कुमार से कहा कि शिंदे गृहमंत्री होने के साथ ही लोकसभा में सदन के नेता भी हैं। मैंने लोकसभा अध्यक्ष से कहा कि शिंदे ने आरोप लगाया है कि बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हिन्दू और भगवा आतंकी प्रशिक्षण शिविर चलाते हैं। अगर ऐसा है, तो मुख्य विपक्षी दल बीजेपी के सदस्य के रूप में मेरा विपक्ष का नेता रहना और बीजेपी सदस्यों का सदन में आना उचित नहीं रहेगा। अत: सदन को सुचारू रूप से चलाने के लिए पहले इस बात का निराकरण किया जाए।
उन्होंने कहा, अगर हम आतंकी शिविर चलाते हैं, तो हमारे साथ आतंकियों का व्यवहार किया जाए। ऐसे में हम संसद के सदस्य कैसे रह सकते हैं?
(इनपुट एजेंसी से भी)
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