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This Article is From Aug 02, 2018

NRC पर संसद में घमासान, जानें बांग्लादेशी घुसपैठ को लेकर 2005 में ममता बनर्जी ने क्या कहा था?

असम के एनआरसी के मुद्दे पर सरकार और विपक्ष में घमासान जारी है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री एनआरसी मुद्दे पर काफी हमलावर रुख अपनाई हुई हैं

NRC पर संसद में घमासान, जानें बांग्लादेशी घुसपैठ को लेकर 2005 में ममता बनर्जी ने क्या कहा था?
ममता बनर्जी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

असम के एनआरसी के मुद्दे पर सरकार और विपक्ष में घमासान जारी है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री एनआरसी मुद्दे पर काफी हमलावर रुख अपनाई हुई हैं. नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस (एनआरसी) के मुद्दे पर मुखर विरोध करने वालीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भले ही अभी कुछ बोल रही हों, मगर साल 2005 में बांग्लादेशी घुसपैठ पर उनके बोल कुछ और थे. इतना ही नहीं, इस मुद्दे पर उन्होंने उस वक्त लोकसभा में जमकर हंगामा किया था. बांग्लादेशी घुसपैठ  के मुद्दे पर जब उन्हें बोलने की इजाजत नहीं दी गई थी, तब उन्होंने तात्कालीन लोकसभा उपाध्यक्ष चरणजीत सिंह अटवाल पर कागजात को फाड़कर फेंक दिए थे. 

अभी से 13 साल पहले यानी 2005 में जब ममता बनर्जी विपक्ष की सांसद थी, उनका मानना था कि बंगाल में घुसपैठ अब आपदा बन गया है और वोटर लिस्ट में बांग्लादेशी नागरिक भी हैं. बता दें कि बीते दिनों पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि असम में NRC की कवायद राजनैतिक उद्देश्यों से की गई ताकि लोगों को बांटा जा सके. उन्होंने चेतावनी दी कि इससे देश में रक्तपात और गृह युद्ध छिड़ जाएगा. भाजपा पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि यह पार्टी देश को बांटने का प्रयास कर रही है और इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. 

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अरुण जेटली ने ममता बनर्जी के उस बयान को ट्वीट किया है. इसके मुताबिक, ''4 अगस्त 2005 को ममता बनर्जी ने लोकसभा में कहा था' बंगाल में घुसपैठ आपदा बन गया है. मेरे पास बांग्लादेशी और भारतीय वोटर लिस्ट है. यह बहुत ही संवेदनशील मुद्दा है. मैं यह जानना चाहती हूं कि आखिर सदन में कब इस पर चर्चा होगी?''

साल 2005 में बांग्लादेशी नागरिकों के मुद्दे पर ममता बनर्जी लोकसभा स्थगन प्रस्ताव लेकर आईं थीं और काफी सीरियस मैटर बताते हुए बांग्लादेशी घुसपैठियों पर चर्चा की मांग की थी, जिसे स्पीकर सोमनाथ चटर्जी ने रद्द कर दिया था. इसके बाद ममता बनर्जी ने स्पीकर पर भेदभाव का इल्जाम लगाया था. वह इतनी नाराज और गुस्सा हो गयी थी, कि डिप्टी स्पीकर चरणजीत सिंह अटवाल के ऊपर कागज फाड़कर फेंक दी थी, और बाद में उन्होंने इस्तीफा भी दे दयिा था. 

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हालांकि, उनके इस्तीफे को मंजूर नहीं किया गया. बाद में सोमनाथ चटर्जी ने कहा कि इस्तीफा स्वीकार नहीं किया जा सका, क्योंकि यह उचित तरीके से जमा नहीं किया गया था. 

बुधवार को केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने फेसबुक पोस्ट में राहुल की आलोचना करते हुए कहा है कि असम के एनआरसी मामले में पूर्व प्रधानमंत्रियों इंदिरा गांधी और राजीव गांधी ने जो कहा था, कांग्रेस अध्यक्ष का रूख इसके विपरीत है. उन्होंने कहा कि किसी भी सरकार का प्रमुख कर्त्तव्य अपनी सीमाओं की सुरक्षा करना, किसी भी अपराध को रोकना और देश के नागरिकों का जीवन सकुशल एवं सुरक्षित बनाना होता है. 

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अरुण जेटली ने कहा, ‘यह (कांग्रेस) अब भारत की संप्रभुत्ता के साथ समझौता कर रही है. राहुल गांधी और ममता बनर्जी जैसे नेताओं को यह महसूस करना चाहिए कि संप्रभुत्ता खेलने की चीज नहीं है.’ केंद्रीय मंत्री ने पोस्ट में लिखा है, ‘संप्रभुत्ता और नागरिकता भारत की आत्मा है. आयातित वोट बैंक नहीं.’ जेटली के इस पोस्ट का शीर्षक ‘राष्ट्रीय नागरिक पंजी बनाम वोट बैंक’ है.

अरुण जेटली ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की आलोचना करते हुए कहा है कि वह बांग्लादेशी घुसपैठ पर अपना रुख बदल रही हैं. उन्होंने लिखा है, ‘हालांकि, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी ने विदेशियों को हटाने और उनके निर्वासन के लिए 1972 और 1985 में विशेष रूख अपनाया था और अब राहुल गांधी इसके विपरित रूख अपना रहे हैं और कांग्रेस पार्टी इससे पलट गयी है.’    

जेटली ने कहा, ‘इसी तरह 2005 में भाजपा की सहयोगी रह चुकीं ममता बनर्जी ने भी इस पर खास रुख अपनाया था. संघीय मोर्चे के नेता के तौर पर अब वह इसके उलट बात कर रही हैं. क्या भारत की संप्रभुत्ता ऐसे चंचल दिमाग वालों और नाजुक हाथों द्वारा तय की जाएगी.’ असम के 40 लाख लोगों के नाम एनआरसी के मसौदे में नहीं है. प्रदेश में अवैध प्रवासियों की पहचान के लिए एनआरसी तैयार की जा रही है. एनआरसी का दूसरा मसौदा इस हफ्ते के शुरू में गुवाहाटी में प्रकाशित किया गया था. इस मुद्दे पर विपक्षी कांग्रेस और टीएमसी के सदस्यों ने दो दिन से राज्य सभा नहीं चलने दी है.

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जेटली ने कहा कि क्षेत्र और नागरिक किसी भी संप्रभु देश के दो पहलू हैं. उन्होंने यह भी कहा, ‘ऐतिहासिक रूप से दोनों पूर्व प्रधानमंत्रियों, श्रीमती इंदिरा गांधी और राजीव गांधी ने देश से प्रतिबद्धता जतायी थी कि 25 मार्च 1971 के बाद के प्रवासियों का पता लगाया जाएगा, उनकी पहचान कर उन्हें निर्वासित किया जाएगा . जेटली ने आगे कहा कि 1971 से पहले के कुछ प्रवासी उत्पीड़न के कारण भारत आये थे लेकिन 1971 के बाद के सभी प्रवासियों के मामले में यह बात सही नहीं है क्योंकि उन्होंने अवैध रूप से देश में प्रवेश किया था. राज्यसभा के सदस्य ने कहा, ‘एक तीसरी कैटेगरी है जो न तो नागिरक हैं और न ही शरणार्थी हैं, जो यहां आर्थिक अवसरों के लिए आते हैं। ये लोग अवैध प्रवासी हैं.  उनका प्रवेश देश के खिलाफ एक मूक हमला है. ’

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