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This Article is From Oct 12, 2012

आरटीआई पर लगाम के पक्ष में प्रधानमंत्री

आरटीआई पर लगाम के पक्ष में प्रधानमंत्री
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शुक्रवार को कहा कि सूचना का अधिकार (आरटीआई) यदि व्यक्ति की निजता में दखल दे, तो वहां उसे सीमिति कर दिया जाना चाहिए।

ज्ञात हो कि यह मुद्दा गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की विदेश यात्राओं के बिल के विवरण मांगे जाने के बाद तेजी के साथ उठा है।

सूचना आयुक्तों के वार्षिक सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए मनमोहन सिंह ने यहां कहा कि नागरिकों के सूचना के अधिकार को उस सूरत में निश्चिततौर पर लक्ष्मण रेखा के भीतर सीमित किया जाना चाहिए, जब सूचना सार्वजनिक करने से किसी की निजता पर अतिक्रमण हो रहा हो। "लेकिन यह लक्ष्मण रेखा कहां खीची जानी चाहिए, यह एक जटिल प्रश्न है।"

सरकार द्वारा आरटीआई अधिनियम-2005 के द्वारा उपलब्ध कराई जा रही सूचना से निजता के सम्भावित अतिक्रमण को लेकर पैदा हुई चिंताओं को रेखांकित करते हुए मनमोहन ने आरटीआई और निजता के अधिकार के बीच संतुलन स्थापित करने का भी आह्वान किया।

मनमोहन ने कहा कि सरकारी अधिकारियों को चाहिए कि वे आरटीआई को किसी रोड़े के रूप में न देखें, बल्कि उसे इस रूप में लेना चाहिए कि यह हम सभी के लिए सामूहिक रूप से अच्छा है। इसके साथ ही उन्होंने संकेत दिया कि ऐसी सूचनाएं जो सम्भवत: कोई सार्वजनिक उद्देश्य हल नहीं कर सकतीं, उनकी मांग करने के लिए इस कानून के हल्के व पीड़ादायक इस्तेमाल को लेकर चिंताएं हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा, "आरटीआई कानून के तहत सूचना मुहैया कराने के दौरान निजता के सम्भावित अतिक्रमण के सम्बंध में भी चिंताएं खड़ी की गई हैं।"

मनमोहन ने कहा, "आरटीआई और निजता के अधिकार के बीच  संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता है, क्योंकि निजता का अधिकार जीवन व आजादी के मौलिक अधिकारों से जुड़ा हुआ है।"

केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) और राज्य सूचना आयोगों (एसआईसी) के प्रमुखों के पद पर सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों व उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्ति से सम्बंधित सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें पता है कि सीआईसी और एसआईसी की संरचना पर इसके प्रभाव को लेकर कुछ भ्रम पैदा हुआ है।

प्रधानमंत्री ने कहा, "आपको शायद ज्ञात होगा कि सरकार ने इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय में समीक्षा याचिका दायर करने का निर्णय लिया है।" मनमोहन ने यह बात ऐसे समय में कही है, जब केंद्र सरकार ने एक दिन पहले 13 सितम्बर के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की समीक्षा के लिए एक याचिका दायर की है।

मनमोहन ने कहा, "इस कानून का इस्तेमाल केवल सरकारी अधिकारियों की आलोचना करने, उपहास करने और उन्हें नीचा दिखाने के लिए नहीं किया जाना चाहिए। आरटीआई पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने, सूचना व जागरूकता का प्रसार करने तथा नागरिकों को सशक्त बनाने के लिए होना चाहिए।"

मनमोहन ने कहा कि आरटीआई के कारण नागरिक खुद को सशक्त महसूस करते हैं, क्योंकि प्रथम चरण में 95.5 प्रतिशत आवेदनों का निस्तारण कर दिया गया है।

प्रधानमंत्री ने कहा, "आरटीआई के अच्छे और रचनात्मक इस्तेमाल की सम्भावना शायद मौजूदा स्थिति के संकेतों से अधिक है। ऐसी सूचनाएं जो सम्भवत: कोई सार्वजनिक उद्देश्य हल नहीं कर सकती, उनकी मांग करने के लिए इस कानून के हल्के व पीड़ादायक इस्तेमाल को लेकर चिंताएं हैं।"

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