उत्तरप्रदेश में 58 बूचड़खाने पंजीकृत हैं, जहां योगी आदित्यनाथ सरकार की कार्रवाई चर्चा में है.
इंदौर:
उत्तरप्रदेश समेत अलग-अलग राज्यों में अवैध बूचड़खानों के खिलाफ मुहिम जारी है. इसको लेकर हो-हल्ला अब कम हो गया है. वहीं, आरटीआई से पता चला है कि देश में केवल 1,707 बूचड़खाने खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 के तहत पंजीकृत हैं. सबसे ज्यादा पंजीकृत बूचड़खाने वाले सूबों की फेहरिस्त में क्रमश: तमिलनाडु, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र शीर्ष तीन स्थानों पर हैं, जबकि अरुणाचल प्रदेश और चंडीगढ़ समेत आठ राज्यों में एक भी बूचड़खाना पंजीकृत नहीं है. मध्यप्रदेश के नीमच निवासी आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने रविवार को बताया कि भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने उन्हें ये आंकड़े फूड लायसेंसिंग एंड रजिस्ट्रेशन सिस्टम के जरिये उपलब्ध जानकारी के आधार पर प्रदान किए हैं. उन्होंने कहा, "आरटीआई के तहत मुहैया कराये गये इन आंकड़ों की रोशनी में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि देश में कितनी बड़ी तादाद में अवैध बूचड़खाने चल रहे हैं."
गौड़ की आरटीआई अर्जी पर भेजे जवाब में एफएसएसएआई के एक अफसर ने बताया कि अरणाचल प्रदेश, चंडीगढ़, दादरा व नगर हवेली, दमन व दीव, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा में एक भी बूचड़खाना खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 के तहत पंजीकृत नहीं है. आरटीआई से मिली जानकारी यह चौंकाने वाला खुलासा भी करती है कि आठों राज्यों में ऐसा एक भी बूचड़खाना नहीं है, जिसने केंद्रीय या राज्यस्तरीय लायसेंस ले रखा हो. एफएसएसएआई ने आरटीआई के तहत बताया कि तमिलनाडु में 425, मध्यप्रदेश में 262 और महाराष्ट्र में 249 बूचड़खाने खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 के तहत पंजीकृत हैं. यानी देश के कुल 55 फीसद पंजीकृत बूचड़खाने इन्हीं तीन सूबों में चल रहे हैं.
उत्तरप्रदेश में 58 बूचड़खाने पंजीकृत हैं, जहां अवैध पशुवधशालाओं के खिलाफ नवगठित योगी आदित्यनाथ सरकार की कार्रवाई चर्चा में है. आंध्रप्रदेश में एक, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में नौ, असम में 51, बिहार में पांच, छत्तीसगढ़ में 111, दिल्ली में 14, गोवा में चार, गुजरात में चार, हरियाणा में 18, हिमाचल प्रदेश में 82, जम्मू.कश्मीर में 23, झारखंड में 11, कर्नाटक में 30, केरल में 50, लक्षद्वीप में 65, मणिपुर में चार और मेघालय में एक बूचड़खाने को खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 के तहत पंजीकृत किया गया है.
ओडिशा में पांच, पुडुचेरी में दो, पंजाब में 112, राजस्थान में 84, उत्तराखंड में 22 और पश्चिम बंगाल में पांच बूचड़खाने खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 के तहत पंजीकृत हैं. एफएसएसएआई ने आरटीआई के तहत यह भी बताया कि देश भर में 162 बूचड़खानों को प्रदेशस्तरीय लायसेंस मिले हैं, जबकि 117 पशुवधशालाओं को केंद्रीय लायसेंस हासिल हैं. इस बीच, पशुहितैषी संगठन पीपुल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (पेटा) इंडिया की विज्ञप्ति में मोटे आकलन के हवाले से कहा गया है कि देश में अवैध या गैर लाइसेंसी बूचड़खानों की संख्या 30,000 से ज्यादा है.
हालांकि, कई लायसेंसशुदा बूचड़खानों में भी पशुओं को बेहद क्रूरतापूर्वक जान से मारा जाता है. पेटा इंडिया ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से अनुरोध किया है कि वे ऐसी पशुवधशालाओं को बंद कराएं जिनके पास उपयुक्त प्राधिकरणों के लायसेंस नहीं है और जो कानून द्वारा निषिद्ध तरीकों का इस्तेमाल करती हैं. (इनपुट्स भाषा से)
गौड़ की आरटीआई अर्जी पर भेजे जवाब में एफएसएसएआई के एक अफसर ने बताया कि अरणाचल प्रदेश, चंडीगढ़, दादरा व नगर हवेली, दमन व दीव, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा में एक भी बूचड़खाना खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 के तहत पंजीकृत नहीं है. आरटीआई से मिली जानकारी यह चौंकाने वाला खुलासा भी करती है कि आठों राज्यों में ऐसा एक भी बूचड़खाना नहीं है, जिसने केंद्रीय या राज्यस्तरीय लायसेंस ले रखा हो. एफएसएसएआई ने आरटीआई के तहत बताया कि तमिलनाडु में 425, मध्यप्रदेश में 262 और महाराष्ट्र में 249 बूचड़खाने खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 के तहत पंजीकृत हैं. यानी देश के कुल 55 फीसद पंजीकृत बूचड़खाने इन्हीं तीन सूबों में चल रहे हैं.
उत्तरप्रदेश में 58 बूचड़खाने पंजीकृत हैं, जहां अवैध पशुवधशालाओं के खिलाफ नवगठित योगी आदित्यनाथ सरकार की कार्रवाई चर्चा में है. आंध्रप्रदेश में एक, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में नौ, असम में 51, बिहार में पांच, छत्तीसगढ़ में 111, दिल्ली में 14, गोवा में चार, गुजरात में चार, हरियाणा में 18, हिमाचल प्रदेश में 82, जम्मू.कश्मीर में 23, झारखंड में 11, कर्नाटक में 30, केरल में 50, लक्षद्वीप में 65, मणिपुर में चार और मेघालय में एक बूचड़खाने को खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 के तहत पंजीकृत किया गया है.
ओडिशा में पांच, पुडुचेरी में दो, पंजाब में 112, राजस्थान में 84, उत्तराखंड में 22 और पश्चिम बंगाल में पांच बूचड़खाने खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 के तहत पंजीकृत हैं. एफएसएसएआई ने आरटीआई के तहत यह भी बताया कि देश भर में 162 बूचड़खानों को प्रदेशस्तरीय लायसेंस मिले हैं, जबकि 117 पशुवधशालाओं को केंद्रीय लायसेंस हासिल हैं. इस बीच, पशुहितैषी संगठन पीपुल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (पेटा) इंडिया की विज्ञप्ति में मोटे आकलन के हवाले से कहा गया है कि देश में अवैध या गैर लाइसेंसी बूचड़खानों की संख्या 30,000 से ज्यादा है.
हालांकि, कई लायसेंसशुदा बूचड़खानों में भी पशुओं को बेहद क्रूरतापूर्वक जान से मारा जाता है. पेटा इंडिया ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से अनुरोध किया है कि वे ऐसी पशुवधशालाओं को बंद कराएं जिनके पास उपयुक्त प्राधिकरणों के लायसेंस नहीं है और जो कानून द्वारा निषिद्ध तरीकों का इस्तेमाल करती हैं. (इनपुट्स भाषा से)
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