कोलकाता:
केंद्रीय कारपोरेट मामलों के मंत्री एम. वीरप्पा मोइली ने सोमवार को कहा कि सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम बनाने के समय में जो 'खामियां' रह गई थीं, उन पर विचार करने की जरूरत है। भारतीय वाणिज्य परिसंघ की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान संवाददाताओं से बातचीत में पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री ने कहा, "आरटीआई अधिनियम के कई पहलू हैं। इसका इस्तेमाल ब्लैकमेल करने के लिए नहीं किया जा सकता, बल्कि इसे जनहित में इस्तेमाल किया जाना चाहिए। इसके निर्माण के समय ही इसमें कुछ खामियां रह गई थीं, जिस पर विचार करने की जरूरत है। इसका अर्थ यह नहीं है कि हमें इसमें संशोधन करने की आवश्यकता है।" उन्होंने कहा, "आरटीआई का इस्तेमाल कुछ राजनीतिक दलों के एजेंडे के लिए नहीं किया जा सकता। कुछ लोगों का एजेंडा निर्माण न होकर विध्वंस है। ऐसे लोग देश को अस्थिर देखना चाहते हैं।" आरटीआई पर राष्ट्रीय बहस का आह्वान करते हुए मोइली ने कहा कि यह देश में सहभागितापूर्ण लोकतंत्र के निर्माण का साधन है। मोइली का बयान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा आरटीआई अधिनियम की 'गहन समीक्षा' की आवश्यकता बताने के तीन दिन बाद आया है। उन्होंने कहा था कि आरटीआई से सरकार के कामकाज में बाधा नहीं आनी चाहिए। नौकरशाही में क्षमता निर्माण की आवश्यकता पर बल देते हुए मोइली ने कहा, "उन्हें (नौकरशाहों को) जानना चाहिए कि आरटीआई की चुनौतियों से कैसे निपटा जाए। मैं समझता हूं कि प्रशासन में इसे लेकर खामी है।" क्षमता निर्माण प्रक्रिया के बारे में पूछे जाने पर मोइली ने कहा, "अधिकारियों को फाइल लिखने के बारे में भी जानकारी होनी चाहिए। मंत्रियों को भी यह जानना चाहिए कि क्या लिखा जाए और कैसे लिखा जाए।"
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आरटीआई, मोइली