राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार (Indresh Kumar) ने हरिद्वार धर्म संसद में हाल ही में अल्पसंख्यकों के खिलाफ दिए गए भाषणों की तीखे शब्दों में आलोचना की है. उन्होंने कहा कि भड़काऊ और विभाजनकारी कमेंट करने वालों को बिना किसी अपवाद के कानून के मुताबिक दंडित किया जाना चाहिए. न्यूज एजेंसी PTI को दिए एक इंटरव्यू में इंद्रेश ने नफरत फैलाने वाली राजनीति को ''भ्रष्टाचार'' की तरह माना और सभी राजनीतिक पार्टियों और उनके नेताओं से नफरत फैलाने और समाज के एक वर्ग को दूसरे के खिलाफ खड़ा करने से परहेज करने का आह्वान किया.
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आरएसएस की राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्य ने कहा, 'किसी भी समुदाय, जाति या समूह के खिलाफ भड़काऊ और विभाजनकारी कमेंट करने के बजाय देश और इसके लोगों के हित में भाईचारे और विकास की राजनीति की जानी चाहिए. ' उत्तराखंड के हरिद्वार और छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में हाल में धर्म संसद में दिए गए घृणा पैदा करने वाले भाषणों को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा, 'किसी भी तरह की हेट स्पीच की आलोचना की जानी चाहिए. सभी घृणास्पद भाषणों की आलोचना की जानी चाहिए और कानून के अनुसार दंडित किया जाना चाहिए. किसी को भी अपवाद के तौर पर नहीं लिया जाना चाहिए.'
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इंद्रेश ने महात्मा गांधी की हत्या के लिए कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों की ओर से आरएसएस और इसकी विचारधारा को जिम्मेदार ठहराने के लिए आड़े हाथ लिया और कहा कि इनके पास कोई सबूत नहीं है फिर भी निराधार आरोप लगा रहे हैं. उन्होंने कहा, '60 से अधिक समय से हम यह सुन रहे हैं कि महात्मा गांधी की हत्या के पीछे आरएसएस और उसकी विचारधारा का हाथ था. संघ पर बैन भी लगाया गया लेकिन कांग्रेस और अन्य पार्टियां वर्षों तक सत्ता में रहने के बाद भी इस बात को साबित नहीं कर सकीं.' इंद्रेश ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भी उनके इस बयान के लिए आलोचना की कि एक 'हिंदुत्ववादी ने गोली मारकर गांधीजी की हत्या कर दी थी.' उन्होंने कहा, 'अब वे कहते हैं हिंदुत्वादी ने गांधीजी की हत्या की, यह भी हेट स्पीच है.' आरएसएस नेता ने तर्क दिया कि लोगों के एक वर्ग या संगठन के खिलाफ नफरत पैदा करने वाले आरोपों को भी 'हेट स्पीच' की श्रेणी में रखा जाना चाहिए. इंद्रेश कुमार ने कहा, “सभी नफरती बयानों को एक ही चश्मे से देखा जाना चाहिए. हम घृणित, उत्तेजक और विभाजनकारी बयानों पर कार्रवाई को लेकर अंतर नहीं कर सकते हैं, जबकि दोनों प्रकृति और सार में समान हैं.उन्होंने कहा, “नफरती बयान देने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए, चाहे वे कितने भी बड़े और प्रभावशाली हों या किसी पार्टी या समूह के हों. यह समय की जरूरत है. ”कुमार संघ से जुड़े मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के संस्थापक भी हैं, जिसका उद्देश्य मुसलमानों और हिंदुओं को करीब लाना है. ईसाई समुदाय तक पहुंचने के लिए, उन्होंने कुछ साल पहले आरएसएस के मुस्लिम शाखा की तर्ज पर एक और संगठन, ईसाई राष्ट्रीय मंच की स्थापना की थी.
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