राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के चीफ मोहन भागवत ने दशहरा उत्सव के मौके पर अपने संबोधन में कहा है कि चीन ने अपनी विस्तारवादी नीति की वजह से भारतीय सीमा में भी घुसपैठ की है लेकिन जब भारतीय जवानों ने उसे जवाब दिया तो वह पहली बार घबरा उठा. भागवत ने कहा कि पूरी दुनिया ने चीन की चालाक कोशिशों को देखा है और हर देश उसकी विस्तारवादी नीति से परिचित है. भागवत ने कहा कि चीन इस वक्त कई देशों- ताइवान, वियतनाम, अमेरिका, जापान और भारत से लड़ रहा है. उन्होंने कहा, 'हमारी सेना की अटूट देशभक्ति व अदम्य वीरता, हमारे शासनकर्ताओं का स्वाभिमानी रवैया तथा हम सब भारत के लोगों के दुर्दम्य नीति-धैर्य का परिचय चीन को पहली बार मिला है.'
दशहरा उत्सव पर संघ मुख्यालय नागपुर में आयोजित वार्षिक समारोह को संबोधित करते हुए मोहन भागवत ने नागरिकता संशोधन कानून पर विरोध करने वालों को भी आड़े हाथों लिया और कहा कि कुछ लोग इसकी आड़ में साम्प्रदायिकता भड़काना चाहते थे लेकिन सत्ता में बैठे लोगों ने उनके इरादों पर पानी फेर दिया. उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण ने इस विषय को ही ढक दिया.
The entire world has witnessed how China is encroaching into India's territory. Everyone is aware of China's expansionist behaviour. China is fighting with many countries-Taiwan, Vietnam, U.S, Japan & India. But India's response has made China nervous: RSS Chief Mohan Bhagwat https://t.co/rqDZtBROlT pic.twitter.com/4MFzkzkV7M
— ANI (@ANI) October 25, 2020
भागवत ने कहा, "इस महामारी के संदर्भ में चीन की भूमिका संदिग्ध रही यह तो कहा ही जा सकता है, परंतु भारत की सीमाओं पर जिस प्रकार से अतिक्रमण का प्रयास अपने आर्थिक सामरिक बल के कारण मदांध होकर उसने किया वह तो सम्पूर्ण विश्व के सामने स्पष्ट है." उन्होंने कहा, "भारत का शासन, प्रशासन, सेना तथा जनता सभी ने इस आक्रमण के सामने अड़ कर खड़े होकर अपने स्वाभिमान, दृढ़ निश्चय व वीरता का उज्ज्वल परिचय दिया, इससे चीन को अनपेक्षित धक्का मिला लगता है. इस परिस्थिति में हमें सजग होकर दृढ़ रहना पड़ेगा."
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संघ प्रमुख ने कहा, “हम सभी से मित्रता चाहते हैं. वह हमारा स्वभाव है परन्तु हमारी सद्भावना को दुर्बलता मानकर अपने बल के प्रदर्शन से कोई भारत को चाहे जैसा नचा ले,झुका ले,यह हो नहीं सकता,इतना तो अब तक ऐसा दुःसाहस करने वालों को समझ में आ जाना चाहिए.”
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उन्होंने इस मौके पर हिन्दुत्व की भी बात की और कहा, "हिन्दुत्व'ऐसा शब्द है,जिसके अर्थ को पूजा से जोड़कर संकुचित किया गया है. संघ की भाषा में उस संकुचित अर्थ में उसका प्रयोग नहीं होता. वह शब्द अपने देश की पहचान को,अध्यात्म आधारित उसकी परंपरा के सनातन सातत्य तथा समस्त मूल्य सम्पदा के साथ अभिव्यक्ति देने वाला शब्द है."
भागवत ने कहा, “संघ मानता है कि ‘हिंदुत्व'शब्द भारतवर्ष को अपना मानने वाले,उसकी संस्कृति के वैश्विक व सर्वकालिक मूल्यों को आचरण में उतारना चाहने वाले तथा यशस्वी रूप में ऐसा करके दिखाने वाली उसकी पूर्वज परम्परा का गौरव मनमें रखने वाले सभी 130करोड़ समाज बन्धुओं पर लागू होता है.”
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