लापरवाही से वाहन चलाने से होने वाले एक्सीडेंट के मामलों को सुप्रीम कोर्ट ने गंभीरता से लिया है। एक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि रसूखदार और अमीर ऐसे मामलों में कम सजा पाकर ही बच जाते हैं, जबकि सड़क पर चलने वाले गरीब लोगों को अपनी जान का खतरा बना रहता है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा है कि ऐसे मामलों में सजा बढ़ाई जाए।
पंजाब में हुए एक एक्सीडेंट के मामले में सरकार की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला सुनाया। इस मामले में हाईकोर्ट ने आरोपी की सजा को एक साल से घटाकर 24 दिन कर दिया था।
आरोपी ने पीड़ितों को मुआवजा दे दिया था। 2007 में हुए एक्सीडेंट में दो लोगों की मौत हो गई थी। जस्टिस दीपक मिश्रा और प्रफुल्ल पंत की बेंच ने अपने फैसले में सजा को छह महीने बढ़ा दिया है।
इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि गरीबों का जीवन भी उतना ही कीमती और बहूमुल्य है जितना कि किसी अमीर व्यक्ति का। गाड़ी चलाने वालों को लगता है कि उनका कुछ नहीं होगा, जबकि सड़क पर पैदल चलने वाले खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं। ड्रंकन-ड्राइविंग ने हालात को और भी गंभीर बना दिया है।
हाइकोर्ट पर टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, यहां तक कि कोर्ट भी इस मामले में कड़ी सजा से बचते हैं। कई मामलों में लोग अपनी जान गंवा बैठते हैं तो कई मामलों में पीड़ित बच तो जाता है, लेकिन उसकी जिंदगी मौत से भी बदतर हो जाती है।
ऐसे में कोर्ट मुआवजा देने या फिर कम उम्र का हवाला देकर दोषी को आसानी से छोड़ देते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इन मामलों में कड़े प्रावधानों की जरूरत है और सरकार को 304 A के प्रावधान को और कड़ा करने के लिए कानून में बदलाव करना चाहिए। अभी तक इन मामलों में दोषी पाए जाने पर दो साल और जुर्माने का प्रावधान है।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं