उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू ने शुक्रवार को भारत से लाइव वीडियो लिंक के जरिये भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी के प्रत्यर्पण के मामले में मोदी की ओर से गवाही दी, जिसको भारत सरकार की ओर से अभियोजन पक्ष ने चुनौती दी. पांच दिन की सुनवाई के अंतिम दिन जस्टिस सैमुअल गूजी ने काटजू की विस्तृत गवाही सुनने के बाद मामले की सुनवाई 3 नवंबर तक स्थगित कर दी. तीन नवंबर को वह भारतीय अधिकारियों द्वारा पेश सबूतों की स्वीकार्यता से संबंधित तथ्यों पर सुनवाई करेंगे.
मोदी पर दो अरब अमेरिकी डॉलर के पंजाब नेशनल बैंक घोटाले के संबंध में धोखाधड़ी और धनशोधन के आरोप हैं. काटजू ने लिखित और मौखिक दावे किये हैं कि भारत में न्यायपालिका का अधिकांश हिस्सा भ्रष्ट है और जांच एजेंसियां सरकार की ओर झुकाव रखती हैं, लिहाजा नीरव मोदी को भारत में निष्पक्ष सुनवाई का मौका नहीं मिलेगा. काटजू के इन दावों पर भारत सरकार की ओर से मुकदमा लड़ रही ब्रिटेन की क्राउन प्रोसिक्यूशन सर्विस (सीपीएस) ने पलटवार किया.
बैरिस्टर हेलेन मैल्कम ने सवाल किया, ''क्या ऐसा संभव है. आप स्वघोषित गवाह हैं, जो कुछ भी बयान दे सकते हैं.'' इस पर काटजू ने जवाब दिया, ''आप अपने विचार रखने के हकदार हैं.'' मैल्कम ने इस विचाराधीन मामले में ब्रिटेन की अदालत में पेश किये जाने वाले सबूतों के संबंध में इस सप्ताह की शुरुआत में भारत में मीडिया को साक्षात्कार देने के काटजू के फैसले के बारे में भी सवाल किया, जिसपर काटजू ने कहा कि वह केवल पत्रकारों के सवालों के जवाब दे रहे थे और ''राष्ट्रीय महत्व'' के मामलों पर बोलना उनका कर्तव्य है.
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