पटना:
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने बारे में भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआई) के अध्यक्ष माकेर्ंडय काटजू द्वारा की गई टिप्पणी पर बुधवार को सख्त ऐतराज जताते हुए कहा कि उन्हें पद की गरिमा का ख्याल रखना चाहिए।
बिहार विधानमंडल के संयुक्त सत्र के दौरान परसों दिए गए राज्यपाल के अभिभाषण पर वाद-विवाद के बाद आज सरकार की ओर से जवाब देते हुए नीतीश ने बिहार में प्रेस की आजादी को लेकर पीसीआई दल की रिपोर्ट को पूर्वाग्रह से ग्रसित विचार बताते हुए अपने बारे में काटजू द्वारा की गई टिप्पणी पर आज सख्त ऐतराज जताया और कहा कि उन्हें पद की गरिमा का ख्याल रखना चाहिए।
काटजू द्वारा बिहार के नीतीश की धनानंद और नंदवंश से तुलना किए जाने पर कहा ‘मुझे बहुत तकलीफ हुई है, इतिहास पढ़ने वालों को मालूम है कि धनानंद क्यों कहा गया किसी को’।
उन्होंने कहा ‘हमारी धनानंद या नंदवंश से तुलना किस बात की, हम तो चांदी का चम्मच मुख में लेकर पैदा नहीं हुए’।
नीतीश ने कहा, संभव कि कोई धनानंद बन सकता है। किसने अधिकार दिया है। किसी संवैधानिक संस्था के पद पर बैठे हुए व्यक्ति को क्या यह अधिकार है कि जो मर्जी में आए बोले और एक तरफा बोले।
नीतीश ने कहा कि वे सभी संवैधानिक संस्था का आदर करते हैं लेकिन यह परस्पर सम्मान और मर्यादा यह सभों पर लागू होती है। बिहार में प्रेस की स्वतंत्रता को लेकर काटजू द्वारा गठित तथ्य अन्वेषण दल के गठन की चर्चा करते हुए नीतीश ने कहा कि सांच को आंच क्या है, हम पर यह सब बंदरघुडकी नहीं चलेगी।
उन्होंने कहा कि कौन से तथ्य अन्वेषण दल की बात कर रहे हैं। उनका नाम लेकर वे उनका पद बढ़ाना चाहते हैं। सारी दुनिया जानती है किनके साथ जुड़े हुए किनके लिए काम कर रहे हैं।
पीसीआई अध्यक्ष मार्केंडेय काटजू की गत वर्ष फरवरी में पटना विश्वविद्यालय की यात्रा का जिक्र करते हुए नीतीश ने कहा कि पटना कॉलेज के प्राचार्य ने विरोध किया और वे उनकी सरकार के खिलाफ भाषण देने लगे। उन्होंने कहा कि हम पर भाषण इसलिए दिया क्योंकि कि हमारा बेहतर पारिवारिक पृष्ठभूमि नहीं है। हम एक साधारण किसान वैद्य से हैं।
नीतीश ने कहा ‘मान लिया काटजू जी आपके दादा कैलाशनाथ काटजू मध्य प्रांत के मुख्यमंत्री और कांग्रेस के बड़े नेता थे। शायद राज्यपाल और केंद में मंत्री भी रहे। लेकिन हमारे दादा गांव में रहने वाले एक किसान थे।
नीतीश ने कहा ‘‘कम से कम अपना नहीं तो जिन पदों पर आप रहे हैं उसकी गरिमा का तो ख्याल रखना चाहिए।’’ उन्होंने कहा ‘‘मेरे मन में किसी बात का अभिमान नहीं। मैं लोगों से सीखता हूं। आजतक एक भी क्षण इस बात का एहसास नहीं हुआ कि हम सत्ता में है बल्कि हमें यह एहसास हुआ है कि हमें जनता ने जिम्मेदारी दी है।’’
नीतीश कुमार ने कहा कि हम बोलते नहीं हैं, बदार्शत करते हैं और हम भगवान बुद्ध को मानते हैं, अपमान को झेलते हैं लेकिन सदन में कल प्रतिपक्ष के नेता ने इसकी चर्चा की तो आज उस पर बोल रहे हैं। उन्होंने कहा कि किसी को अधिकार मिला हुआ है जो मर्जी में आए बोलते रहे, कोई पद की गरिमा का ख्याल नहीं।’’
उन्होंने कहा कि हमारे यहां भगवान बुद्ध के 2550वें परिनिर्वाण के अवसर पर उनकी स्मृति में बुद्ध स्मृति पार्क की स्थापना की गई है और नालंदा विश्वविद्यालय को फिर से पुनर्जीवित किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने काटजू के बारे में कहा कि उन्होंने गलत नम्बर डायल किया है और कहा कि जरा उनके कॉल डिटेल को देखा जाए कि वे किन लोगों से बातें कर रहें हैं या पीसीआई दल की रिपोर्ट किन लोगों को ईमेल किए गए।
(इनपुट भाषा से भी)
बिहार विधानमंडल के संयुक्त सत्र के दौरान परसों दिए गए राज्यपाल के अभिभाषण पर वाद-विवाद के बाद आज सरकार की ओर से जवाब देते हुए नीतीश ने बिहार में प्रेस की आजादी को लेकर पीसीआई दल की रिपोर्ट को पूर्वाग्रह से ग्रसित विचार बताते हुए अपने बारे में काटजू द्वारा की गई टिप्पणी पर आज सख्त ऐतराज जताया और कहा कि उन्हें पद की गरिमा का ख्याल रखना चाहिए।
काटजू द्वारा बिहार के नीतीश की धनानंद और नंदवंश से तुलना किए जाने पर कहा ‘मुझे बहुत तकलीफ हुई है, इतिहास पढ़ने वालों को मालूम है कि धनानंद क्यों कहा गया किसी को’।
उन्होंने कहा ‘हमारी धनानंद या नंदवंश से तुलना किस बात की, हम तो चांदी का चम्मच मुख में लेकर पैदा नहीं हुए’।
नीतीश ने कहा, संभव कि कोई धनानंद बन सकता है। किसने अधिकार दिया है। किसी संवैधानिक संस्था के पद पर बैठे हुए व्यक्ति को क्या यह अधिकार है कि जो मर्जी में आए बोले और एक तरफा बोले।
नीतीश ने कहा कि वे सभी संवैधानिक संस्था का आदर करते हैं लेकिन यह परस्पर सम्मान और मर्यादा यह सभों पर लागू होती है। बिहार में प्रेस की स्वतंत्रता को लेकर काटजू द्वारा गठित तथ्य अन्वेषण दल के गठन की चर्चा करते हुए नीतीश ने कहा कि सांच को आंच क्या है, हम पर यह सब बंदरघुडकी नहीं चलेगी।
उन्होंने कहा कि कौन से तथ्य अन्वेषण दल की बात कर रहे हैं। उनका नाम लेकर वे उनका पद बढ़ाना चाहते हैं। सारी दुनिया जानती है किनके साथ जुड़े हुए किनके लिए काम कर रहे हैं।
पीसीआई अध्यक्ष मार्केंडेय काटजू की गत वर्ष फरवरी में पटना विश्वविद्यालय की यात्रा का जिक्र करते हुए नीतीश ने कहा कि पटना कॉलेज के प्राचार्य ने विरोध किया और वे उनकी सरकार के खिलाफ भाषण देने लगे। उन्होंने कहा कि हम पर भाषण इसलिए दिया क्योंकि कि हमारा बेहतर पारिवारिक पृष्ठभूमि नहीं है। हम एक साधारण किसान वैद्य से हैं।
नीतीश ने कहा ‘मान लिया काटजू जी आपके दादा कैलाशनाथ काटजू मध्य प्रांत के मुख्यमंत्री और कांग्रेस के बड़े नेता थे। शायद राज्यपाल और केंद में मंत्री भी रहे। लेकिन हमारे दादा गांव में रहने वाले एक किसान थे।
नीतीश ने कहा ‘‘कम से कम अपना नहीं तो जिन पदों पर आप रहे हैं उसकी गरिमा का तो ख्याल रखना चाहिए।’’ उन्होंने कहा ‘‘मेरे मन में किसी बात का अभिमान नहीं। मैं लोगों से सीखता हूं। आजतक एक भी क्षण इस बात का एहसास नहीं हुआ कि हम सत्ता में है बल्कि हमें यह एहसास हुआ है कि हमें जनता ने जिम्मेदारी दी है।’’
नीतीश कुमार ने कहा कि हम बोलते नहीं हैं, बदार्शत करते हैं और हम भगवान बुद्ध को मानते हैं, अपमान को झेलते हैं लेकिन सदन में कल प्रतिपक्ष के नेता ने इसकी चर्चा की तो आज उस पर बोल रहे हैं। उन्होंने कहा कि किसी को अधिकार मिला हुआ है जो मर्जी में आए बोलते रहे, कोई पद की गरिमा का ख्याल नहीं।’’
उन्होंने कहा कि हमारे यहां भगवान बुद्ध के 2550वें परिनिर्वाण के अवसर पर उनकी स्मृति में बुद्ध स्मृति पार्क की स्थापना की गई है और नालंदा विश्वविद्यालय को फिर से पुनर्जीवित किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने काटजू के बारे में कहा कि उन्होंने गलत नम्बर डायल किया है और कहा कि जरा उनके कॉल डिटेल को देखा जाए कि वे किन लोगों से बातें कर रहें हैं या पीसीआई दल की रिपोर्ट किन लोगों को ईमेल किए गए।
(इनपुट भाषा से भी)
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