यह ख़बर 02 जनवरी, 2011 को प्रकाशित हुई थी

पुनर्वास नीति से उग्रवादियों में जगी घर वापसी की उम्मीद

खास बातें

  • खुफिया जानकारी जुटाने वाली शाखा के एक दल ने उरी तहसील के 13 गांवों का दौरा किया और लोगों को राज्य सरकार द्वारा घोषित पुनर्वास नीति के बारे में बताया।
जम्मू-कश्मीर:

स्थानीय उग्रवादियों के लिए पुनर्वास नीति से पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) से घर वापसी की आस लगाए गुलाम मोहम्मद भट्ट जैसे लोगों को उम्मीद है कि वे अपने परिवार से फिर से मिल सकेंगे। कश्मीर विशेष शाखा के अधिकारियों और जम्मू-कश्मीर पुलिस के खुफिया जानकारी जुटाने वाली शाखा के एक दल ने उरी तहसील के 13 गांवों का दौरा किया और लोगों को राज्य सरकार द्वारा घोषित पुनर्वास नीति के बारे में बताया। अधिकारियों ने स्थानीय नागरिकों को पीओके से वापसी की प्रक्रिया के बारे में भी बताया। पिछले साल नवंबर में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की अध्यक्षता में केबिनैट की एक बैठक में पीओके से उग्रवादियों की घर वापसी वाली इस नीति को मंजूरी दी गई थी। नियंत्रण रेखा के निकट (एलओसी) स्थित एक गांव सोहरा के निवासी भट्ट अब इस नीति के तहत अपने परिवार की घर वापसी के लिए आवेदन करने की योजना बना रहे हैं। भट्ट के परिवार में उसकी पत्नी, दो बेटे और दो भाई हैं। भट्ट ने कहा, सरकार के इस मानवीय कदम से मैं खुश हूं, क्योंकि नियंत्रण रेखा के दूसरी तरफ फंसे सभी लोग उग्रवादी नहीं हैं। उन्होंने बताया कि जब उसके परिवार ने पीओके छोड़ा था उस वक्त उनके बेटे याकूब की उम्र 10 वर्ष और इब्राहीम की उम्र पांच साल की थी और अब 20 साल के बाद वह दोनों युवा हो गये होंगे।


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