नई दिल्ली:
दिल्ली परिवहन विभाग ने बुराड़ी के ट्रांसपोर्ट ऑथोरिटी में मंगलवार को डीजल वाली गाड़ियों के पॉल्यूशन का रियलिटी चेक किया। ट्रांसपोर्टर की दलीलों के बाद दिल्ली सरकार ने यह तय किया कि वाकई यह समझा जाए कि क्या उम्र का पड़ाव पार कर चुकी गाड़ियां ज्यादा प्रदूषण कर रही हैं और जिनकी उम्र 10 के भीतर है। उनके प्रदूषण की मात्रा क्या कम है?
क्या डीजल गाड़ियों की उम्र और उनसे होने वाले पॉल्यूशन के बीच कोई सीधा रिश्ता है। यानी क्या वाकई दस साल तक गाड़ियां कम पॉल्यूशन फैलाएंगी और उसके बाद ज्यादा। दिल्ली सरकार के परिवहनमंत्री गोपाल राय भी इस चेकिंग के दौरान मौजूद थे। उन्होंने कहा कि वाकई हम देखना चाहते हैं कि क्या गाड़ी की उम्र से पॉल्यूशन का बढ़ना या घटना निर्भर करता है। इस आंकड़े को हम एनजीटी के सामने भी रखेंगे। दरअसल दिल्ली के ट्रांसपोटर्स ने हमसे गुजारिश की थी कि इस तरह का एक रियलिटी चेक होना चाहिए।
अथॉरिटी में पॉल्यूशन चेक के लिए आई 53 गाड़ियों में से 45 पास हुई और 8 फेल। इनमें 5 साल से कम की 42 गाड़ियों में से 36 पास हुईं और 6 फेल। वहीं 5 से 10 साल के बीच की 9 गाड़ियों में 1 ही फेल हुई और 10 साल से ऊपर की दो गाड़ियों में 1 पास और 1 फेल रही।
दिल्ली परिवहन विभाग की ओर से पर्यवेक्षक के तौर बुलाए गए आईएफटीआरटी के सीनियर फेलो एसपी सिंह ने सवाल जरूर उठाया कि जिस मकसद से इस अनोखे आइडिया को लेकर जांच की प्रक्रिया शुरू की गई, उसमें ट्रास्पोटर्स को दस साल से पुरानी ज्यादा से ज्यादा गाड़ियां लेकर आनी चाहिए थी, ताकि हम किसी ठोस नतीजे पर पहुंच पाते।
इधर केंद्र भी इस मामले में सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कह रहा है। केंद्रीय परिवहनमंत्री नितिन गडकरी ने फिर से दोहराया कि दो हफ्ते में यह मुमकिन नहीं, लिहाजा वह आदेश की तामील के लिए सुप्रीम कोर्ट से 6 महीने की मोहलत मांगेंगे। गडकरी ने कहा कि एनजीटी के फैसले पर उनको कोई एतराज नहीं, लेकिन सुधार के लिहाज से 6 महीने की मोहलत हमें चाहिए। लिहाजा एक दो दिन के भीतर हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।
अब एक मई को एनजीटी में होने वाली सुनवाई के दौरान सरकार रियलिटी चेक के आंकड़े भी सामने रखेगी।
क्या डीजल गाड़ियों की उम्र और उनसे होने वाले पॉल्यूशन के बीच कोई सीधा रिश्ता है। यानी क्या वाकई दस साल तक गाड़ियां कम पॉल्यूशन फैलाएंगी और उसके बाद ज्यादा। दिल्ली सरकार के परिवहनमंत्री गोपाल राय भी इस चेकिंग के दौरान मौजूद थे। उन्होंने कहा कि वाकई हम देखना चाहते हैं कि क्या गाड़ी की उम्र से पॉल्यूशन का बढ़ना या घटना निर्भर करता है। इस आंकड़े को हम एनजीटी के सामने भी रखेंगे। दरअसल दिल्ली के ट्रांसपोटर्स ने हमसे गुजारिश की थी कि इस तरह का एक रियलिटी चेक होना चाहिए।
अथॉरिटी में पॉल्यूशन चेक के लिए आई 53 गाड़ियों में से 45 पास हुई और 8 फेल। इनमें 5 साल से कम की 42 गाड़ियों में से 36 पास हुईं और 6 फेल। वहीं 5 से 10 साल के बीच की 9 गाड़ियों में 1 ही फेल हुई और 10 साल से ऊपर की दो गाड़ियों में 1 पास और 1 फेल रही।
दिल्ली परिवहन विभाग की ओर से पर्यवेक्षक के तौर बुलाए गए आईएफटीआरटी के सीनियर फेलो एसपी सिंह ने सवाल जरूर उठाया कि जिस मकसद से इस अनोखे आइडिया को लेकर जांच की प्रक्रिया शुरू की गई, उसमें ट्रास्पोटर्स को दस साल से पुरानी ज्यादा से ज्यादा गाड़ियां लेकर आनी चाहिए थी, ताकि हम किसी ठोस नतीजे पर पहुंच पाते।
इधर केंद्र भी इस मामले में सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कह रहा है। केंद्रीय परिवहनमंत्री नितिन गडकरी ने फिर से दोहराया कि दो हफ्ते में यह मुमकिन नहीं, लिहाजा वह आदेश की तामील के लिए सुप्रीम कोर्ट से 6 महीने की मोहलत मांगेंगे। गडकरी ने कहा कि एनजीटी के फैसले पर उनको कोई एतराज नहीं, लेकिन सुधार के लिहाज से 6 महीने की मोहलत हमें चाहिए। लिहाजा एक दो दिन के भीतर हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।
अब एक मई को एनजीटी में होने वाली सुनवाई के दौरान सरकार रियलिटी चेक के आंकड़े भी सामने रखेगी।
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