जिसको दिल्ली पुलिस गुपचुप तरीके से तलाशने के दावे कर रही है, वो अपने दफ्तर में आराम फरमा रहा है, कैमरों पर इंटरव्यू दे रहा है। पुलिस कहती है उसका फोन एक हफ्ते से बंद है लेकिन वो फोन पर घंटों बातें कर रहा है।
जी हां, ये अंदाज है पूर्व एमएलए रामवीर शौकीन का। रामवीर की मानें तो उन्हें समाज सेवा के लिए राष्ट्रपति पदक से सम्मानित भी किया जा चुका है।
वही पुलिस का दावा है कि दिल्ली के एक अपराधी नीरज बवाना की निशानदेही पर बवाना में एक प्लॉट से जो AK-47 राइफल और SLR बरामद हुए, उन्हें छिपाने में नीरज के मामा रामवीर का ही हाथ था। ये हथियार इसी साल उत्तराखंड पुलिस की कस्टडी से एक शातिर अपराधी अमित भूरा को भगाते वक्त छीने गए थे। पुलिस का कहना है कि बागपत से अमित को भगाने की साजिश रामवीर के दफ्तर में ही रची गई थी।
वहीं रामवीर शौकीन कहते हैं कि वह अमित से कभी नही मिले और उनके दफ्तर में ऐसी कोई प्लानिंग नहीं हुई। वे दावा करते हैं कि वो अपने भांजे नीरज बवाना से कई सालों से नहीं मिले हैं।
हालांकि पुलिस ये दावा कर रही है कि नीरज बवाना वारदात करने के बाद कई बार रामवीर के घर, दफ्तर और कारखानों में छिपने आया और रामवीर को उसके कारनामों की पूरी जानकारी रहती थी।
यहां तक कि 2013 के विधानसभा चुनाव में नीरज बवाना ने जबरन वसूली और जमीनों के कब्जे से कमाए करीब 1 करोड़ रूपये रामवीर के लिए खर्च किए। उस समय रामवीर निर्दलीय चुनाव लड़े थे और बाद में वो कांग्रेस में शामिल हो गए थे।
वहीं मुंडका इलाके से 2015 का दिल्ली विधानसभा चुनाव रामवीर की पत्नी कांग्रेस के टिकट पर लड़ीं, लेकिन वे चुनाव हार गई थीं। पुलिस का कहना है कि इस चुनाव में भी नीरज बवाना ने जुर्म की दुनिया से कमाया हुआ करीब 40 लाख रूपया खर्च किया और इसी पैसे से वोटरों को शराब और दूसरे सामान बांटे गए।
रामवीर शौकीन ने एनडीटीवी इंडिया से बातचीत करते हुए कहा कि पुलिस उनके खिलाफ जो भी आरोप लगा रही है वह एक गहरी राजनीतिक साजिश है। अगर उनका और पुलिस के अधिकारियों का नार्को टेस्ट कराया जाए, तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।
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