
नई दिल्ली:
वरिष्ठ वकील और भारतीय जनता पार्टी के नेता राम जेठमलानी पार्टी को पार्टी निष्कासित कर सकती है। सूत्रों के अनुसार, लालकृष्ण आडवाणी के कमरे पर भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक के दौरान यह फैसला लिया गया है। इस बैठक में सुषमा स्वराज, अनंत कुमार, अरुण जेटली और खुद पार्टी प्रमुख राजनाथ सिंह मौजूद थे।
बतया जा रहा है कि बुधवार को कर्नाटक चुनाव के फैसले के बाद पार्टी इस बारे में अंतिम निर्णय लेले। कहा जा रहा है कि पार्टी प्रमुख राजनाथ सिंह संसदीय बोर्ड के अन्य सदस्य नरेंद्र मोदी, नितिन गडकरी और थावरचंद गहलोत से भी इस मुद्दे पर बातचीत कर सकते हैं।
राम जेठमलानी अपनी पार्टी नेतृत्व के खिलाफ पहले भी कई बार नाराजगी व्यक्त कर चुके हैं। नरेंद्र मोदी की प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी को लेकर उनके समर्थन में जेठमलानी काफी मुखर रहे हैं। अब सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा की नियुक्ति के मसले पर बयान देकर जेठमलानी अपनी ही पार्टी के लिए गले की फांस बन गए हैं।
बता दें कि पिछले साल 25 नवंबर को राम जेठमलानी को पार्टी से निलंबित कर दिया गया था। यह निलंबन राम जेठमलानी के उस बयान के बाद किया गया था, जिसमें उन्होंने सीबीआई निदेशक की नियुक्ति को जायज ठहराया था। इसके अलावा उन्होंने पार्टी नेतृत्व को कार्रवाई करने की चुनौती तक दे डाली थी।
जेठमलानी ने सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा की नियुक्ति की आलोचना करने के लिए अपनी ही पार्टी पर हमला बोला था। इस वरिष्ठ वकील ने पूर्ति समूह में वित्तीय अनियमितता के मामले सामने आने के बाद पार्टी के पूर्व अध्यक्ष नितिन गडकारी पर भी निशाना साधा था।
बतया जा रहा है कि बुधवार को कर्नाटक चुनाव के फैसले के बाद पार्टी इस बारे में अंतिम निर्णय लेले। कहा जा रहा है कि पार्टी प्रमुख राजनाथ सिंह संसदीय बोर्ड के अन्य सदस्य नरेंद्र मोदी, नितिन गडकरी और थावरचंद गहलोत से भी इस मुद्दे पर बातचीत कर सकते हैं।
राम जेठमलानी अपनी पार्टी नेतृत्व के खिलाफ पहले भी कई बार नाराजगी व्यक्त कर चुके हैं। नरेंद्र मोदी की प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी को लेकर उनके समर्थन में जेठमलानी काफी मुखर रहे हैं। अब सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा की नियुक्ति के मसले पर बयान देकर जेठमलानी अपनी ही पार्टी के लिए गले की फांस बन गए हैं।
बता दें कि पिछले साल 25 नवंबर को राम जेठमलानी को पार्टी से निलंबित कर दिया गया था। यह निलंबन राम जेठमलानी के उस बयान के बाद किया गया था, जिसमें उन्होंने सीबीआई निदेशक की नियुक्ति को जायज ठहराया था। इसके अलावा उन्होंने पार्टी नेतृत्व को कार्रवाई करने की चुनौती तक दे डाली थी।
जेठमलानी ने सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा की नियुक्ति की आलोचना करने के लिए अपनी ही पार्टी पर हमला बोला था। इस वरिष्ठ वकील ने पूर्ति समूह में वित्तीय अनियमितता के मामले सामने आने के बाद पार्टी के पूर्व अध्यक्ष नितिन गडकारी पर भी निशाना साधा था।
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