नई दिल्ली:
केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के कश्मीर दौरे के दूसरे दिन आखिरकार वे और महबूबा मुफ्ती एक साथ आए. दोनों ने कहा कि कश्मीर में अमन जरूरी है लेकिन यह सवाल फिर भी उठ रहा है कि इस मसले पर क्या केंद्र और राज्य में पूरा तालमेल है?
राजनाथ सिंह ने अपने बयान "कश्मीर के लोग ही शिनाख्त करें कि कौन बच्चों के हाथ में पत्थर पकड़ा रहे हैं." से साफ कर दिया कि वे जानते हैं कि घाटी में हिंसा फैलाने के पीछे सिर्फ कुछ लोग हैं. मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भी कहा कि राज्य के
95 फीसदी लोग अमन चाहते हैं. बस 5 फीसदी गड़बड़ी कर रहे हैं.
राजनाथ सिंह कश्मीर में अमन की अपील को लेकर महबूबा मुफ्ती को अपने साथ लाने में कामयाब रहे हैं. वरना दो दिन के इस दौरे में महबूबा उस नेहरु गेस्ट हाउस में नहीं गईं, जहां राजनाथ सबको इंसानियत, जम्हूरियत और कश्मीरियत के नाम पर बुलावा दे रहे थे. राजनाथ महबूबा के घर पहुंचे, जहां साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिखा कि दोनों ही मतभेद खत्म करने की कोशिश में हैं. कुछ नई घोषणाएं भी हुईं. प्रेस कॉन्फ्रेंस में राजनाथ ने यह संदेश देने की कोशिश भी की कि सरकार कश्मीर को हमदर्दी के साथ देखती है.
लेकिन कश्मीर का असली सवाल यह है कि उन अलगाववादियों से कौन बातचीत करेगा जो इस पूरे हंगामे के पीछे बताए जा रहे हैं. केंद्र का कहना है कि वे आकर बात करें. महबूबा चाहती हैं कि पहल केंद्र करे.
गृह मंत्री ने इस बात का भी खयाल रखा कि सुरक्षा बलों का हौसला कमजोर न हो. इस दौरे से राजनाथ फिर से एक बड़े नेता के तौर पर उभरे हैं. वे एक पॉजिटिव संदेश देने में कामयाब रहे हैं. चुनौती यही है कि हिंसा करने वालों से आम कश्मीरियों को कैसे अलग किया जाए ताकि उनको विकास से जोड़ा जा सके.
राजनाथ सिंह ने अपने बयान "कश्मीर के लोग ही शिनाख्त करें कि कौन बच्चों के हाथ में पत्थर पकड़ा रहे हैं." से साफ कर दिया कि वे जानते हैं कि घाटी में हिंसा फैलाने के पीछे सिर्फ कुछ लोग हैं. मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भी कहा कि राज्य के
95 फीसदी लोग अमन चाहते हैं. बस 5 फीसदी गड़बड़ी कर रहे हैं.
राजनाथ सिंह कश्मीर में अमन की अपील को लेकर महबूबा मुफ्ती को अपने साथ लाने में कामयाब रहे हैं. वरना दो दिन के इस दौरे में महबूबा उस नेहरु गेस्ट हाउस में नहीं गईं, जहां राजनाथ सबको इंसानियत, जम्हूरियत और कश्मीरियत के नाम पर बुलावा दे रहे थे. राजनाथ महबूबा के घर पहुंचे, जहां साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिखा कि दोनों ही मतभेद खत्म करने की कोशिश में हैं. कुछ नई घोषणाएं भी हुईं. प्रेस कॉन्फ्रेंस में राजनाथ ने यह संदेश देने की कोशिश भी की कि सरकार कश्मीर को हमदर्दी के साथ देखती है.
लेकिन कश्मीर का असली सवाल यह है कि उन अलगाववादियों से कौन बातचीत करेगा जो इस पूरे हंगामे के पीछे बताए जा रहे हैं. केंद्र का कहना है कि वे आकर बात करें. महबूबा चाहती हैं कि पहल केंद्र करे.
गृह मंत्री ने इस बात का भी खयाल रखा कि सुरक्षा बलों का हौसला कमजोर न हो. इस दौरे से राजनाथ फिर से एक बड़े नेता के तौर पर उभरे हैं. वे एक पॉजिटिव संदेश देने में कामयाब रहे हैं. चुनौती यही है कि हिंसा करने वालों से आम कश्मीरियों को कैसे अलग किया जाए ताकि उनको विकास से जोड़ा जा सके.
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