राजस्थान में स्कूल के पाठ्यक्रम में बदलाव की तैयारी चल रही है। प्राचीन भारत के गणितज्ञ आर्य भट्ट और भास्कराचार्य को शामिल करने के साथ-साथ अब राजस्थान सरकार अकबर का डिमोशन और महाराणा प्रताप का प्रमोशन भी करना चाहती है।
इतिहास को अलग नजरिये से पढ़ने की कवायद कर रहे हैं राजस्थान के शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी, जो संघ के करीबी माने जाते हैं। देवनानी का कहना है कि इतिहास में प्रतिद्वंदी रहे दो महान राजा राणा प्रताप और अकबर दोनों ग्रेट नहीं हो सकते, ये दर्जा, राजस्थान की टेक्स्ट बुक्स में अब सिर्फ महाराणा प्रताप का होगा।
शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने कहा, जैसे शिवाजी को महाराष्ट्र में वैसे प्रताप को राजस्थान में महान के रूप में स्थान नहीं मिला है। हम महाराणा प्रताप पढ़ाएंगे और क्योंकि उन्होंने अकबर से संघर्ष किया दोनों महान नहीं हो सकते। महान तो प्रताप हैं। अकबर राजा के रूप में आएगा तो उसको स्थान मिलेगा, लेकिन महान के रूप में प्रताप है।
इतिहास का तराजू सिर्फ हिन्दू राजाओं की तरफ झुकता दिखाई नहीं देता। हिन्दी और अंग्रेजी की वर्णमाला में भी प्रदेश की सरकार बदलाव लाना चाहती है। उनको अब स्कूली बच्चों को हिन्दी शब्दमाला में 'ग' से गधा पढ़ाए जाने पर आपत्ति है, लिहाजा अगले सत्र से पाठ्यक्रम में बदलाव कर गधे की जगह अब 'ग' से गणेश पढ़ाया जाएगा।
सरकार कहती है कि कंप्यूटर के इस दौर में पुरानी परिपाटी पर पढ़ाई जा रही हिन्दी और अंग्रेजी वर्णमाला बदलाव चाहती है। साथ-साथ विज्ञान में नजरअंदाज रहे प्राचीन भारत के अंतरिक्ष विज्ञानियों को भी पाठ्य क्रम में सम्मानजनक स्थान देने की तैयारी है।
आर्यभट्ट और भास्कराचार्य को न्यूटन और पाइथागोरस जैसे दर्जा मिलने वाला है। ज़ाहिर है इतिहास के इस सपाट नज़रिये की कांग्रेस आलोचना कर रही है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट ने कहा, यह कहना की वो महान थे और कोई अन्य राजा महान नहीं, क्योंकि वह हिन्दू नहीं था, इस सबको पाठ्यक्रम में शामिल करना बहुत गलत है।
सूर्य नमस्कार को हाल ही में सभी सरकारी स्कूलों में ज़रूरी बनाने के बाद अब लगता है राजस्थान सरकार एक नया विवाद छेड़ रही है।
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