राजस्थान में सचिन पायलट (Sachin Pilot) कैंप की ओर से हाईकोर्ट का फैसला आने से पहले ठीक पहले याचिका दी गई कि 14 जुलाई को विधानसभा अध्यक्ष की ओर से दिए गए दल बदल कानून के तहत नोटिस के मामले में केंद्र को भी पार्टी बनाया जाए. इस पर हाईकोर्ट ने अर्जी स्वीकार कर ली. लेकिन थोड़ी देर बाद हाईकोर्ट ने इस मामले में आदेश दिया कि विधानसभा स्पीकर के नोटिस पर फिलहाल कोई कार्रवाई नहीं होगी और अब इस पर सुप्रीम कोर्ट संविधान के अनुच्छेद 10(1A)की वैधता पर फैसला सुनाएगा. यानी देश की सर्वोच्च अदालत फैसला करेगी कि क्या विधानसभा अध्यक्ष के इस नोटिस पर कोर्ट हस्तक्षेप कर सकती है. लेकिन यह अहम बात है कि कोर्ट ने इस पर रोक नहीं लगाई है कि अगर विधानसभा सत्र बुलाया जाता है और पार्टी की ओर से जारी व्हिप का उल्लंघन करने पर विधानसभा अध्यक्ष दल-बदल कानून के तहत नोटिस नहीं जारी कर सकते हैं.
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तो कुल मिलाकर यह माना जा सकता है कि 14 जुलाई को दिए गए विधानसभा अध्यक्ष की ओर से दिए गए नोटिस को लेकर हाईकोर्ट ने इस पर यथास्थिति पर रोक लगाई है. माने सचिन पायलट को राहत तो मिल गई है लेकिन विधानसभा अध्यक्ष को मिले अधिकारों को कम नहीं किया है.
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वहीं सूत्रों के हवाले खबर मिल रही है कि सीएम अशोक गहलोत अब बहुत जल्द ही विधानसभा सत्र बुलाने का ऐलान करने वाले हैं और अब कहा जा सकता है कि जैसे ही सत्र बुलाते ही सीएम अशोक गहलोत कोरोना वायरस से जुड़े पेंडिंग बिलों को पास कराने के लिए व्हिप जारी कर सकते हैं. इसके बाद एक बार फिर सीएम अशोक गहलोत के हाथों बाजी जा सकती है. फिलहाल नई खबर है कि सीएम गहलोत अपने विधायकों के साथ राज्यपाल भवन जाने वाले हैं.
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