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This Article is From Jun 06, 2019

लोकसभा चुनाव में हार के बाद राजस्थान कांग्रेस में खींचतान, सचिन पायलट को CM बनाने की उठी मांग

लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद राजस्थान कांग्रेस का मतभेद सतह पर आ गया है.

लोकसभा चुनाव में हार के बाद राजस्थान कांग्रेस में खींचतान, सचिन पायलट को CM बनाने की उठी मांग
राजस्थान कांग्रेस का मतभेद सतह पर आ गया है.
नई दिल्ली:

लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद राजस्थान कांग्रेस का मतभेद सतह पर आ गया है. अब राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस के एक विधायक ने कहा कि लोकसभा चुनाव में पार्टी की करारी हार की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को लेनी चाहिए. पार्टी के विधायक पृथ्वीराज मीणा ने उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने की भी मांग की है. आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव में राजस्थान में कांग्रेस को सभी 25 सीटों पर हार का मुंह देखना पड़ा और उसके बाद से पार्टी में खेमेबाजी और खींचतान चल रही है. राज्य की टोडाभीम सीट से कांग्रेस विधायक मीणा ने यहां पार्टी के प्रदेश मुख्यालय में संवाददाताओं से कहा,' जब पार्टी सत्ता में होती है जो हार की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री की होती है और अगर पार्टी विपक्ष में होती है जो यह जिम्मेदारी पार्टी अध्यक्ष की रहती है'.

इफ्तार पार्टी में साथ दिखाई दिए सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट

विधायक पृथ्वीराज मीणा ने कहा कहा, 'सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए. यह मेरी व्यक्तिगत राय है'. मीणा ने कहा कि वह यह बात पहले भी कह चुके हैं क्योंकि विधानसभा चुनाव में पार्टी उन्हीं के कारण जीती. आपको बता दें कि हाल ही में मुख्यमंत्री गहलोत ने एक टीवी चैनल को साक्षात्कार में कहा कि प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट को कम से कम जोधपुर सीट पर पार्टी की हार की जिम्मेदारी तो लेनी ही चाहिए क्योंकि वह वहां शानदार जीत का दावा कर रहे थे. इसके बाद गहलोत व पायलट के समर्थन में अलग अलग बयान आ रहे हैं.

लोकसभा चुनाव में बेटे की हार पर बोले अशोक गहलोत, सचिन पायलट को जिम्मेदारी लेनी चाहिए

हालांकि तनातनी की खबरों के बीच रास्थान के सीएम अशोक गहलोत (Ashok Gehlot)  और डिप्टी सीएम सचिन पायलट मंगलवार को जयपुर में कांग्रेस ऑफिस में हुई इफ्तार पार्टी में साथ नजर आए थे. गौरतलब है कि अशोक गहलोत के बेटे वैभव जोधपुर सीट से 2.7 लाख वोटों से हारे हैं. उनको बीजेपी के गजेंद्र सिंह शेखावत ने हराया है. अपने बेटे को जिताने के लिए अशोक गहलोत यहां पर जमकर प्रचार किया था. उनके विरोधी कहते हैं कि इस सीट से बाहर निकलकर अशोक गहलोत कहीं और प्रचार करने नहीं गए और ज्यादातर रैलियां इसी सीट पर की हैं. (इनपुट-भाषा से भी)

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