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'संसाधनों पर पहला हक आदिवासियों का...', राहुल गांधी ने झारखंड में किया चुनावी शंखनाद

बीजेपी पर हमला बोलते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि ये लोग आदिवासी को वनवासी कहते हैं. इसके पीछे इनकी सोच है कि आदिवासी को उनके हक से वंचित रखा जाए. आदिवासी वे हैं, जो इस धरती पर सबसे पहले आए. संसाधनों पर सबसे पहला हक उनका है.

'संसाधनों पर पहला हक आदिवासियों का...', राहुल गांधी ने झारखंड में किया चुनावी शंखनाद
रांची:

झारखंड में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आज झारखंड का दौरा किया. इस दौरान उन्होंने CM हेमंत सोरेन से भी मुलाकात की. साथ ही उन्होंने संविधान सम्मान सम्मेलन भी भाग लिया. राहुल गांधी ने शनिवार को दावा किया कि बीजेपी संविधान पर हमला कर रही है. उन्होंने बीजेपी पर निर्वाचन आयोग, नौकरशाही और केंद्रीय एजेंसियों जैसी संस्थाओं को नियंत्रित करने का भी आरोप लगाया है.

झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले यहां संविधान सम्मान सम्मेलन को संबोधित करते हुए गांधी ने आरोप लगाया कि संविधान पर लगातार हमला हो रहा है और इसकी रक्षा किये जाने की जरूरत है. कोई भी ताकत जाति आधारित गणना और आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा को हटाने से नहीं रोक सकती.

राहुल गांधी ने कहा कि जाति आधारित गणना सामाजिक ‘एक्स-रे' पाने का एक माध्यम है. लेकिन प्रधानमंत्री मोदी इसका विरोध कर रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, मीडिया और न्यायपालिका के समर्थन के बिना भी कोई ताकत जाति आधारित गणना और आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा को हटाने से नहीं रोक सकती.

विधानसभा चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के बाद गांधी का झारखंड का यह पहला दौरा है. राज्य में विधानसभा चुनाव 13 और 20 नवंबर को दो चरणों में होंगे और मतगणना 23 नवंबर को होगी. इससे पहले झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि ‘इंडिया' गठबंधन आगामी विधानसभा चुनाव एक साथ मिलकर लड़ेगा और कांग्रेस तथा झामुमो 81 में से 70 सीट पर अपने उम्मीदवार उतारेंगे.

बीजेपी पर हमला बोलते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि ये लोग आदिवासी को वनवासी कहते हैं. इसके पीछे इनकी सोच है कि आदिवासी को उनके हक से वंचित रखा जाए. आदिवासी वे हैं, जो इस धरती पर सबसे पहले आए. संसाधनों पर सबसे पहला हक उनका है. लेकिन वनवासी कहकर उन्हें सिर्फ जंगल में रहने वाला बताया जा रहा है.

राहुल गांधी ने कहा कि उनकी पूरी स्कूली शिक्षा हिन्दुस्तान में हुई है. स्कूलों के पाठ्यक्रम में आदिवासियों के बारे में एक पूरा चैप्टर तक नहीं है. इनके इतिहास, जीने के तौर-तरीकों, उनके विज्ञान, दर्शन और राजनीति का कहीं कोई जिक्र नहीं है. दलितों के बारे में सिर्फ एक लाइन है कि उनसे छुआछूत का व्यवहार होता है. इसी तरह ओबीसी, किसान, मजदूर, बढ़ई, नाई, मोची- इन तमाम लोगों का इतिहास कहीं लिखा ही नहीं गया है, जबकि हिन्दुस्तान में 90 प्रतिशत लोग यही हैं.

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