फाइल फोटो
नई दिल्ली:
देश के 11 राज्यों में इस साल मॉनसून औसत से काफी नीचे रहा है। अंदेशा है कि अगर अगले 15 दिन में भारी बारिश नहीं हुई तो कई इलाकों में सूखे जैसे हालात का सामना करना पड़ सकता है। मौसम विभाग की तरफ से जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक महाराष्ट्र पर इस साल सूखे की सबसे तीखी मार पड़ सकती है।
महाराष्ट्र में एक जून से 16 अगस्त के बीच मराठवाड़ा में औसत से 48% कम बारिश हुई है और मध्य महाराष्ट्र में औसत से 32% कम बारिश हुई है। जबकि उत्तरी कर्नाटक में औसत से 45% कम, तटीय कर्नाटक में औसत से 24% कम और केरल में दक्षिणी-पश्चिमी मॉनसून सीजन के दौरान औसत से 30% कम बारिश हुई है।
मौसम विभाग के मुताबिक आंध्र प्रदेश के रायलसीमा में यह गिरावट -38% है जबकि इस मॉनसून सीज़न में बिहार में -32%, पूर्वी उत्तर प्रदेश में -36%, दिल्ली और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में -27% और पंजाब में -29% गिरावट दर्ज की गई है।
अब सबकी नजर अगले 15 दिनों पर है। मौसम विभाग के मुताबिक अगले 4-5 दिन में बिहार और उत्तर प्रदेश में काफी अच्छी बारिश होगी जिससे अब तक हुए नुकसान की कुछ भरपाई हो सकेगी, लेकिन दक्षिणी और पश्चिमी भारत के इलाकों में अगले सात दिन में कमी पूरी करने वाली बारिश होने की उम्मीद नहीं है।
दिल्ली में मौसम विभाग के डायरेक्टर बी पी यादव ने एनडीटीवी से कहा, "महाराष्ट्र का मराठवाड़ा और मध्य महाराष्ट्र के इलाके, आंध्र प्रदेश के रायलसीमा, तेलंगाना और उत्तरी कर्नाटक में अगले एक हफ्ते में इतनी बारिश नहीं होगी जिससे इन इलाकों में बारिश की कमी, जो रिकार्ड की गई है की भरपाई हो सके। हमने अगस्त महीने में औसत से 8% कम बारिश का प्रोजेक्शन किया है"। यह महत्वपूर्ण है कि अगस्त महीने में पूरे मॉनसून सीज़न की 29% बारिश होती है।
कृषि अर्थशास्त्री मानते हैं कि पश्चिमी और दक्षिणी भारत के जिन इलाकों में औसत से काफी कम बारिश हुई है वहां सूखे का खतरा हो सकता है। काउंसिल ऑफ सोशल डेवलपमेंट के कृषि अर्थशास्त्री टी हक ने एनडीटीवी से कहा, "यह एक किस्म के सूखे जैसी स्थिति है। 20% से 59% के बीच अगर बारिश की कमी होती है तो ऐसे इलाकों में आगे चलकर सूखे की स्थिति हो जाती है।"
यानी हालात कुछ राज्यों में नाजुक बने हुए हैं। सरकार को इन इलाकों में प्रभावित लोगों तक राहत पहुंचाने की तैयारी अभी से शुरू करनी होगी।
महाराष्ट्र में एक जून से 16 अगस्त के बीच मराठवाड़ा में औसत से 48% कम बारिश हुई है और मध्य महाराष्ट्र में औसत से 32% कम बारिश हुई है। जबकि उत्तरी कर्नाटक में औसत से 45% कम, तटीय कर्नाटक में औसत से 24% कम और केरल में दक्षिणी-पश्चिमी मॉनसून सीजन के दौरान औसत से 30% कम बारिश हुई है।
मौसम विभाग के मुताबिक आंध्र प्रदेश के रायलसीमा में यह गिरावट -38% है जबकि इस मॉनसून सीज़न में बिहार में -32%, पूर्वी उत्तर प्रदेश में -36%, दिल्ली और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में -27% और पंजाब में -29% गिरावट दर्ज की गई है।
अब सबकी नजर अगले 15 दिनों पर है। मौसम विभाग के मुताबिक अगले 4-5 दिन में बिहार और उत्तर प्रदेश में काफी अच्छी बारिश होगी जिससे अब तक हुए नुकसान की कुछ भरपाई हो सकेगी, लेकिन दक्षिणी और पश्चिमी भारत के इलाकों में अगले सात दिन में कमी पूरी करने वाली बारिश होने की उम्मीद नहीं है।
दिल्ली में मौसम विभाग के डायरेक्टर बी पी यादव ने एनडीटीवी से कहा, "महाराष्ट्र का मराठवाड़ा और मध्य महाराष्ट्र के इलाके, आंध्र प्रदेश के रायलसीमा, तेलंगाना और उत्तरी कर्नाटक में अगले एक हफ्ते में इतनी बारिश नहीं होगी जिससे इन इलाकों में बारिश की कमी, जो रिकार्ड की गई है की भरपाई हो सके। हमने अगस्त महीने में औसत से 8% कम बारिश का प्रोजेक्शन किया है"। यह महत्वपूर्ण है कि अगस्त महीने में पूरे मॉनसून सीज़न की 29% बारिश होती है।
कृषि अर्थशास्त्री मानते हैं कि पश्चिमी और दक्षिणी भारत के जिन इलाकों में औसत से काफी कम बारिश हुई है वहां सूखे का खतरा हो सकता है। काउंसिल ऑफ सोशल डेवलपमेंट के कृषि अर्थशास्त्री टी हक ने एनडीटीवी से कहा, "यह एक किस्म के सूखे जैसी स्थिति है। 20% से 59% के बीच अगर बारिश की कमी होती है तो ऐसे इलाकों में आगे चलकर सूखे की स्थिति हो जाती है।"
यानी हालात कुछ राज्यों में नाजुक बने हुए हैं। सरकार को इन इलाकों में प्रभावित लोगों तक राहत पहुंचाने की तैयारी अभी से शुरू करनी होगी।
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