जम्मू-कश्मीर में आई तबाही को हफ्ते भर से ज्यादा बीत गए हैं, लेकिन अब भी स्थिति विकट बनी हुई है। कई इलाकों में धीरे-धीरे पानी कम हो रहा है, लेकिन तबाही इतनी बड़ी है कि जिंदगी को दोबारा पटरी पर लौटने में काफी वक्त लग जाएगा।
श्रीनगर और जम्मू में सुबह हुई बारिश की वजह से राहत के काम में दिक्कत हुई, हालांकि अब बारिश रुक गई है। इस बीच राहत में जुटे सेना के जवानों पर छिटपुट जगहों से पथराव की खबरें भी हैं। श्रीनगर के रैनाबारी इलाके में सेना के एक हेलीकॉप्टर पर दो-तीन बार पथराव किए गए।
सेना, वायुसेना, एनडीआरएफ, सीआरपीएफ और बीआरओ लगातार राहत और बचाव कार्य में जुटे हुए हैं। सेना की 239 टुकड़ियां दिन-रात राहत और बचाव कार्य में जुटी हुई हैं। वायुसेना के विमानों ने 1895 उड़ानें भरीं हैं, इनमें से शनिवार को 170 उड़ानें भरी गईं। 1,40,000 लोगों को निकाल कर सुरक्षित जगहों पर पहुंचा दिया गया है, जबकि 1.5 लाख से ज्यादा लोग जहां-तहां फंसे हुए हैं।
इधर, केंद्र सरकार ने BSNL नेटवर्क पर एक हफ्ते तक मुफ्त बातचीत की सेवा देने का ऐलान किया है। साथ ही प्राइवेट टेलीकॉम ऑपरेटर्स ने भी हर दिन 60 मिनट का मुफ्त टॉकटाइम देने का ऐलान किया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन आज श्रीनगर के दौरे पर जा रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने 100 टन दवाइयों की खेप जम्मू-कश्मीर भेजी थी।
पानी घटने के बाद महामारी फैलने की आशंका के मद्देजर केंद्र ने जम्मू-कश्मीर में डॉक्टरों की टीम भी भेजी है। 24 घंटे हालात पर नजर रखने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने कश्मीर में अपना कंट्रोल रूम भी स्थापित किया है। राज्य में आई आपदा से निपटने के लिए शनिवार शाम मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने श्रीनगर में सभी पार्टियों की बैठक बुलाई।
इससे पहले शनिवार को जम्मू-कश्मीर सरकार के कुछ मंत्रियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर इस तबाही को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की, साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री से पुनर्वास के लिए विशेष पैकेज की भी मांग की।
केंद्र सरकार द्वारा दवाई की खेप भेजे जाने के बावजूद जम्मू-कश्मीर में राहत में जुटे डॉक्टर दवाइयों की कमी से जूझ रहे हैं। अलग−अलग एजेंसियों द्वारा चलाए जा रहे मेडिकल कैंपों के डॉक्टरों का कहना है कि उनके पास जीवनरक्षक दवाइयां खत्म हो रही हैं और अगर इनकी तत्काल आपूर्ति की जरूरत है। सीमा सुरक्षाबल बल के मेडिकल कमांडेंट डॉ पीएम काबुई का कहना है कि पानी उतरने के साथ−साथ महामारी फैलने का खतरा बढ़ता जा रहा है, ऐसे में दवाओं की पर्याप्त खेप का होना बहुत जरूरी है।
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