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This Article is From May 07, 2017

काम की खबर : इंसानों के लिए संजीवनी बूटी है रानी मधुमक्खी का भोजन

राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन बोर्ड के कार्यकारिणी सदस्य देवव्रत शर्मा ने बताया, 'रॉयल जेली' में कई असाध्य रोगों को ठीक करने की क्षमता होती है.

काम की खबर : इंसानों के लिए संजीवनी बूटी है रानी मधुमक्खी का भोजन
मधुमक्खियों की रानी का भोजन 'रॉयल जेली' में कई असाध्य रोगों को ठीक करने की क्षमता होती है. तस्वीर: प्रतीकात्मक
नई दिल्ली: मधुमक्खियों की रानी का भोजन 'रॉयल जेली' (शाही जेली) इंसानों के कई रोगों को ठीक करने और शरीर को एक नया जीवन देने की क्षमता रखता है. राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन बोर्ड के कार्यकारिणी सदस्य देवव्रत शर्मा ने बताया, 'रॉयल जेली' में कई असाध्य रोगों को ठीक करने की क्षमता होती है. अस्थमा, कैंसर, गठिया, मधुमेह, थॉयरॉयड जैसे रोगों में इसके सेवन से रोगी को भारी लाभ मिलता है. यह रीढ़ की हड्डी के क्षरण के कारण होने वाले लकवा को ठीक करने के अलावा, तंत्रिका तंत्र को दुरस्त करता है और घुटनों में तरलता को बहाल कर गठिया को दूर करने में मदद करता है. अगर इसे कलयुग की 'संजीवनी बूटी' कहें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी. देवव्रत शर्मा ने कहा कि पुणे के भारतीय विद्या पीठ में मधुमक्खी के प्रोपीलीस, छत्ते, डंक और रॉयल जेली के कई गंभीर रोगों के इलाज के लिए शोध किये जा रहे हैं. इस संस्थान ने अब तक देशी स्तर पर तैयार लगभग 1200 दवाओं का पेटेन्ट भी कराया है. इसके अलावा कई कैंसर शोध संस्थानों में भी मधुमक्खी के इन उत्पादों को उपयोग में लाया जा रहा है.

उन्होंने कहा कि संभवत: हमारे पूर्वजों को मधुमक्खियों के तमाम उत्पादों के उपयोग की भरपूर जानकारी थी और कई असाध्य रोगों में इसका इस्तेमाल कर वे बेहद लंबी उम्र प्राप्त करते थे.

शर्मा ने कहा कि आज देश में लोगों को केवल मधुमक्खीपालन से शहद प्राप्ति की जानकारी है लेकिन इसके तमाम उत्पादों के उपयोग के बारे जानकारी नहीं है और उनके उपयोग में लाने के तरीके और इन्हें प्राप्त करने की जररी संरचना उपलब्ध नहीं थीं. उन्होंने कहा कि उन्होंने मधुमक्खीपालन क्षेत्र के लिए प्रसिद्ध तमाम देशों की यात्रा अपने खर्च पर की और उनके तमाम उपकरणों के बारे में न सिर्फ जानकारी ली बल्कि देश लौटकर डंक, पोलन (परागकण), रॉयल जेली, प्रोपोलिस (मोमी गोंद) निकालने के उपकरणों को भारतीय तरीके से बनाया और उन्हें निकालने की जानकारी किसानों को दी और उन्हें प्रशिक्षण दिया.

रॉयल जेली के बारे में जानकारी देते हुए शर्मा ने कहा देश में शहद उत्पादन करने वाली पालने योग्य दो प्रमुख मक्खियां हैं. ‘एपिस मेलिफेरा’ :जिसे ‘इटालियन बी’ भी कहते हैं: और ‘एपिस सेरिना इंडिका’ (इसे भारतीय मोन भी कहते हैं).

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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