
Hanuman ji puja : उत्तराखंड को देव भूमि कहते हैं. बड़े-बड़े ऋषि महर्षियों ने यहां की पहाड़ियों और जंगलों में तप और यज्ञ किए हैं. यहां तक की हिन्दू धर्म की चार धाम भी उत्तराखंड की ही धरती पर हैं. जहां हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन-पूजन के लिए पहुंचते हैं. बता दें कि देव भूमि पर कदम-कदम पर आपको देवी-देवताओं के छोटे से लेकर बड़े मंदिर देखने को मिल जाएंगे, जिनका इतिहास बेहद रोचक है. ऐसे में देव भूमि में एक गांव ऐसा भी है, जहां हनुमान जी की पूजा नहीं होती, यहां तक कि लोग उनका नाम लेना भी नहीं पसंद करते. जी हां, आपने सही पढ़ा. आज हम उसी गांव के बारे में बात करेंगे और वजह जानेंगे आखिर हनुमान जी से यहां के लोग क्यों नाराज हैं...?
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द्रोणागिरी गांव में नहीं होती बजरंगबली की पूजा
उत्तराखंड के चमोली जिले में पहाड़ी के बीच बसा गांव द्रोणागिरी में हनुमान जी की पूजा यहां के लोग नहीं करते हैं. यह परंपरा सदियों से चली आ रही है.
दरअसल, रामायण के दौरान जब रावण के पुत्र मेघनाद ने ब्रह्म अस्त्र बाण का प्रयोग कर लक्ष्मण जी को मूर्छित कर दिया था. तब मर्यादा पुरषोत्तम श्रीराम का रो-रोकर बुरा हाल हो जाता है. ऐसे में विभीषण के कहने पर हनुमान जी लंका से सुसैन वैद्य को लेकर लाते हैं, जो कि लक्ष्मण के लिए संजीवनी बूटी लाने की बात कहते हैं. जिसके बाद अंजनी पुत्र रात्रि में ही संजीवनी बूटी लाने के लिए निकल पड़ते हैं. यह बूटी द्रोणागिरी में होती है. लेकिन वहां जाने के बाद हनुमान जी को संजीवनी बूटी की पहचान नहीं होती है, तब वह पूरा पर्वत ही उठा लाते हैं.
यहां के लोगों का कहना है कि संजीवनी बूटी हनुमान जी ने बिना ग्राम देवी की अनुमति के पहाड़ का टुकड़ा लेकर चले गए थे जिससे गांव वाले बहुत नाराज हो गए और उनसे सारे नाते तोड़ लिए.
भगवान राम की होती है पूजा
हालांकि रामनवमी के दौरान द्रोणागिरी गांव में भगवान राम की पूजा पूरे श्रद्धा भाव के साथ की जाती है, लेकिन हनुमान जी का नाम तक लेना लोग पसंद नहीं करते हैं.
जून माह में होता द्रोणागिरी उत्सव
आपको बता दें कि यहां के लोग द्रोणागिरी को देवता की तरह पूजते हैं. हर साल जून माह में द्रोणागिरी पर्वत की विशेष पूजा अर्चना करते हैं. इस उत्सव में शामिल होने के लिए दूर-दूर से आते हैं.
कैसे पहुंचे द्रोणागिरी
आप सबसे पहले हरिद्वार, देहरादून या ऋषिकेश पहुंचे फिर वहां से आप जोशीमठ के लिए बस या टैक्सी कर सकते हैं. फिर आप जुम्मा गांव तक जाने के लिए टैक्सी या जीप ले लीजिए. इसके बाद वहां से आप 8 किलो मीटर की ट्रैकिंग करके द्रोणागिरी गांव तक पहुंच सकते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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