फाइल फोटो
चंडीगढ़:
खुले में शौच पर रोक लगाने के मकसद से केंद्र सरकार ने राज्यों को गांधी जयंती से पहले सभी गांवों में शौचालय बनाने को कहा है। पंजाब में इस स्कीम पर तो काम चल रहा है, लेकिन संगरूर और होशियारपुर में प्रशासन ने इस काम के लिए टीचरों की ड्यूटी लगा दी है। इसे लेकर शिक्षक यूनियन सरकार पर लाल-पीली हो रही है।
सरकारी टीचरों को पढ़ाने के अलावा जनगणना, पल्स पोलियो टीकाकरण और इलेक्शन ड्यूटी पर आम तौर पर लगाया जाता है। लेकिन संगरूर के मलेरकोटला के एसडीएम के इस आदेश के मुताबिक अब टीचरों की ड्यूटी खुले में शौच करने वालों पर नजर रखने के लिए भी लगाई जाएगी। इतना ही नहीं, उन्हें ऐसा करने वालों को नसीहत भी देनी होगी, साथ ही गांव के ऐसे लोगों की लिस्ट प्रशासन को भेजनी होगी।
हालांकि प्रशासन इसे रुटीन मामला बता रहा है। मलेरकोटला के एसडीएम अमित बाम्बी का कहना है कि ब्लॉक लेवल अफसरों को इस अभियान से जोड़ने के लिए उनकी ड्यूटी लगाई है, लेकिन जो नहीं करना चाहते हैं वह अपना नाम कटवा सकते हैं। होशियारपुर में भी ऐसा ही आदेश जारी हुआ है। यहां शिक्षकों को पानी सप्लाई और सफाई महकमे के अधिकारियों के निर्देश पर काम करने को कहा गया है। टीचर यूनियन इसे अपना अपमान बता रही है।
पंजाब टीचर्स यूनियन के सुरजीत सिंह का कहना है कि 'यह हमारे साथ अच्छा नहीं हो रहा है। हमारा काम बहुत सम्मान वाला है। अगर हमें ऐसे कामों में लगाया जाएगा तो कौन हमें सम्मान देगा?'
लेकिन सरकार इस आदेश से पल्ला झाड़ रही है। मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'नहीं नहीं...ऐसी कोई बात नहीं है। पंजाब अपना टारगेट जल्दी पूरा करेगा।'
निर्मल भारत अभियान के तहत पंजाब के 22 जिलों में छह लाख पच्चीस हजार शौचालय बनाने का लक्ष्य रखा गया है। दूसरी तरफ करीब 13 हजार प्रायमरी स्कूलों की हालत खस्ता है। करीब 30 हजार टीचरों के पद खाली पड़े हैं। सरकारी स्कूलों में शिक्षा के गिरते स्तर के चलते इस साल 197 ऐसे स्कूलों पर ताला लगाने की तैयारी है जिनमें उपस्थिति 10 से कम रह गई है। ऐसे में टीचरों की इस अभियान में ड्यूटी लगाने के फैसले पर सवाल उठने लाजिमी है।
सरकारी टीचरों को पढ़ाने के अलावा जनगणना, पल्स पोलियो टीकाकरण और इलेक्शन ड्यूटी पर आम तौर पर लगाया जाता है। लेकिन संगरूर के मलेरकोटला के एसडीएम के इस आदेश के मुताबिक अब टीचरों की ड्यूटी खुले में शौच करने वालों पर नजर रखने के लिए भी लगाई जाएगी। इतना ही नहीं, उन्हें ऐसा करने वालों को नसीहत भी देनी होगी, साथ ही गांव के ऐसे लोगों की लिस्ट प्रशासन को भेजनी होगी।
हालांकि प्रशासन इसे रुटीन मामला बता रहा है। मलेरकोटला के एसडीएम अमित बाम्बी का कहना है कि ब्लॉक लेवल अफसरों को इस अभियान से जोड़ने के लिए उनकी ड्यूटी लगाई है, लेकिन जो नहीं करना चाहते हैं वह अपना नाम कटवा सकते हैं। होशियारपुर में भी ऐसा ही आदेश जारी हुआ है। यहां शिक्षकों को पानी सप्लाई और सफाई महकमे के अधिकारियों के निर्देश पर काम करने को कहा गया है। टीचर यूनियन इसे अपना अपमान बता रही है।
पंजाब टीचर्स यूनियन के सुरजीत सिंह का कहना है कि 'यह हमारे साथ अच्छा नहीं हो रहा है। हमारा काम बहुत सम्मान वाला है। अगर हमें ऐसे कामों में लगाया जाएगा तो कौन हमें सम्मान देगा?'
लेकिन सरकार इस आदेश से पल्ला झाड़ रही है। मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'नहीं नहीं...ऐसी कोई बात नहीं है। पंजाब अपना टारगेट जल्दी पूरा करेगा।'
निर्मल भारत अभियान के तहत पंजाब के 22 जिलों में छह लाख पच्चीस हजार शौचालय बनाने का लक्ष्य रखा गया है। दूसरी तरफ करीब 13 हजार प्रायमरी स्कूलों की हालत खस्ता है। करीब 30 हजार टीचरों के पद खाली पड़े हैं। सरकारी स्कूलों में शिक्षा के गिरते स्तर के चलते इस साल 197 ऐसे स्कूलों पर ताला लगाने की तैयारी है जिनमें उपस्थिति 10 से कम रह गई है। ऐसे में टीचरों की इस अभियान में ड्यूटी लगाने के फैसले पर सवाल उठने लाजिमी है।
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