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This Article is From Oct 14, 2020

पंजाब ने नए कृषि कानूनों को बेअसर करने के लिए योजना बनाई, ऐसा करने वाला पहला राज्य

कांग्रेस ने केंद्र में सत्ता में आने पर इन कानूनों को रद्द करने का वादा किया है. राज्य में मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने "नए कानूनों के खिलाफ युद्ध छेड़ने" की बात कही है.

पंजाब ने नए कृषि कानूनों को बेअसर करने के लिए योजना बनाई, ऐसा करने वाला पहला राज्य
चंडीगढ़:

Punjab Government on New Farm Laws : पंजाब सरकार ने केंद्र के विवादास्पद कृषि कानूनों को खारिज करने का फैसला किया है, जिसने पंजाब और पड़ोसी हरियाणा में तूफान खड़ा कर दिया है. 19 अक्टूबर को इसके लिए एक विशेष विधानसभा सत्र आयोजित किया जाएगा. राज्य मंत्रिमंडल ने आज यह संकल्प लिया. मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की अध्यक्षता में कैबिनेट का निर्णय पंजाब को आधिकारिक रूप से कृषि कानूनों को अस्वीकार करने वाला पहला राज्य बनाता है.

28 अगस्त को समाप्त हुए विधानसभा सत्र के दौरान, इस आशय का एक प्रस्ताव पारित किया गया था. उम्मीद है कि कैबिनेट के इस कदम को भारी समर्थन मिलेगा क्यों कि राज्य के दोनों ही प्रमुख दलों सत्तारूढ़ कांग्रेस और विपक्षी शिरोमणि अकाली दल (SAD) पर बार के लिए एक ही पक्ष में दिख रहे हैं. 

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कांग्रेस ने केंद्र में सत्ता में आने पर इन कानूनों को रद्द करने का वादा किया है. राज्य में मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने "नए कानूनों के खिलाफ युद्ध छेड़ने" की बात कही है. वहीं अकाली दल जिसने शुरू में खेत कानूनों का समर्थन किया था, ने पिछले महीने यू-टर्न किया क्योंकि किसानों ने इसका तीव्र विरोध किया बाद में किसानों और कांग्रेस के दबाव में पार्टी एनडीए से अलग हो गई और सरकार से बाहर चली गई.

किसानों के विरोध के बीच केंद्र सरकार ने पिछले महीने तीन नए कानून बनाए. किसान कहते हैं कि यह कानून उनकी सौदेबाजी की शक्ति को कम करेगा और इससे बड़े खुदरा विक्रेताओं का कीमतों पर नियंत्रण हो जाएगा.

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किसान संगठनों को डर है कि सरकार गारंटी मूल्य पर अनाज खरीदना बंद कर सकती है. उनका मानना है कि यह एक ऐसा कदम जो उन थोक बाजारों को बाधित कर सकता है जिन्होंने अब तक उचित और समय पर भुगतान सुनिश्चित किया है.

किसान बड़े कॉरपोरेट्स से निपटने के बारे में भी सोचते हैं. छोटे किसान, जिन्हें कानून सशक्त बनाने के लिए थे, विशेष रूप से थोक कृषि बाजारों से बाहर चरणबद्ध तरीके से बड़ी कंपनियों की दया पर छोड़े जाने से आशंकित हैं. मुख्य रूप से कृषि प्रधान राज्य पंजाब में विरोध प्रदर्शन तेज हो गए हैं.

मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने 4 अक्टूबर को कहा था, "हम तब तक काले खेत कानूनों के खिलाफ लड़ाई से पीछे नहीं हटेंगे, जब तक कि उन्हें एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर लिखित संवैधानिक गारंटी देने और एफसीआई (भारतीय खाद्य निगम) को जारी रखने के लिए संशोधन नहीं किया जाता है,"

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