पंजाबी एकता पार्टी के नेता सुखपाल सिंह खैहरा (Sukhpal Singh Khaira) ने कहा है कि पंजाब और हरियाणा में एक जनमत संग्रह होना चाहिए, ताकि कृषि कानूनों पर गतिरोध को दूर किया जा सके. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखने वाले खैरा ने कहा कि, अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकतंत्र में विश्वास रखते हैं तो इस गतिरोध को दूर करने का यही एकमात्र जरिया है. आंदोलनकारी किसान संघों और सरकार के बीच मौजूदा गतिरोध के लिए जनमत संग्रह "केवल तार्किक और लोकतांत्रिक शांतिपूर्ण समाधान" प्रतीत होता है.
विधायक ने केंद्र सरकार पर पंजाब, हरियाणा में कृषि कानूनों की अवहेलना करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, "मैं जनमत संग्रह के उपयोग का सुझाव इसलिए दे रहा हूं, क्योंकि केंद्र सरकार लगातार कृषि कानूनों पर अन्य राज्यों के साथ पंजाब, हरियाणा के किसानों की नाराजगी और भावनाओं को सार्वजनिक रूप से अवहेलना कर रही है. दूसरी तरफ प्रचारित कर रही है कि तीनों कानून किसानों के लिए अच्छे हैं. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार किसानों के साथ बातचीत कर रही है और "प्रतिगामी कृषि कानूनों के पक्ष में अभियान" भी चला रही है.
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खैहरा ने कहा कि किसानों की जायज मांगों को सितंबर में पूरा किया जाना चाहिए था, जब किसान यूनियनों ने पंजाब में अपना विरोध प्रदर्शन शुरू किया था. लेकिन बीजेपी की सरकार लोकतांत्रिक मूल्यों के साथ खिलवाड़ कर रही है. जबकि उन्हें किसानों की जायज मांगों को पूरा करना था. इसके विपरीत बीजेपी नेता किसानों को खालिस्तानी, बिचौलिये, नक्सली और पता नहीं क्या क्या बोल रहे हैं. बीजेपी इस मुद्दे को सुलझाने के बजाय आग में घी डालने का काम कर रही है.
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