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गृह मंत्री के न्योते के बाद किसान संगठनों ने बैठक बुलाई, अगले कदम पर कर सकते हैं फैसला

केंद्र सरकार (Centre Govt) के कृषि कानूनों (Farm Laws) के विरोध में प्रदर्शन करने के लिए दिल्ली (Delhi) की सीमाओं पर अब भी बड़ी संख्या में किसान मौजूद हैं.

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किसानों ने निरंकारी मैदान जाने से इंकार कर दिया है. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

केंद्र सरकार के कृषि कानूनों (Farm Laws) का विरोध कर रहे किसान अभी भी दिल्ली (Delhi) की सीमाओं के आसपास अब भी बड़ी संख्या में मौजूद हैं. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) के वार्ता के न्योते के बाद किसान संगठन (Farmers Union) महत्वपूर्ण बैठक करने वाले हैं, जिसमें अगले कदम का फैसला होगा. हालांकि ज्यादातर किसान संगठन विरोध प्रदर्शन के लिए बुराड़ी मैदान जाने को तैयार नहीं है. पंजाब किसान यूनियन के अध्यक्ष रुल्दू सिंह ने कहा कि जब विरोध प्रदर्शन का स्थान रामलीला मैदान तय हैं तो बुराड़ी क्यों जाएं. सिंह ने कहा कि तीनों कृषि कानूनों के अलावा किसान बिजली संशोधन बिल 2020 को भी वापस लेने की मांग करेंगे. अगर सरकार कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती है तो उसे एमएसपी पर गारंटी का कानून लाना होगा.

किसान आंदोलन से जुड़ी 10 बातें

  1. केंद्र के कृषि कानूनों (Farm Laws) के विरोध में 500 से ज्यादा किसान संगठन (Farmers Union) प्रदर्शन कर रहे हैं. इनमें से एक पंजाब किसान यूनियन के अध्यक्ष रुल्दु सिंह ने कहा कि केंद्र ने उन्हें बातचीत का न्योता दिया है और वे वार्ता में हिस्सा लेंगे. हम तय करेंगे कि केंद्र से किस तरह से और किन बिन्दुओं पर वार्ता करनी है.
  2. किसानों ने कृषि कानूनों के साथ बिजली संशोधन बिल 2020 को भी वापस लेने की मांग की है. किसानों की रणनीति साफ है कि अगर केंद्र सरकार कृषि कानूनों पर अड़ी रहती है तो वे न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी का कानून लाने की मांग करेंगे. दिल्ली में सिंघु बॉर्डर (Singhu Border) के पास अभी भी हजारों की संख्या में किसान जमा हैं.
  3. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक वीडियो मैसेज जारी कर कहा है कि केंद्र सरकार किसानों की हर समस्या और मांग पर चर्चा करने को राजी है. केंद्र 3 दिसंबर को किसानों के साथ बातचीत करेगा, अगर वे उससे पहले वार्ता चाहते हैं तो उन्हें सरकार द्वारा तय जगह (बुराड़ी ग्राउंड) पर जाना होगा.
  4. दिल्ली की सीमाओं पर किसानों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. शनिवार की तरह रविवार को भी हजारों की तादाद में किसान वहां पहुंचे. इनमें से ज्यादातर किसान संगठन और नेता बुराड़ी के निरंकारी ग्राउंड जाने को तैयार नहीं हैं. उनकी मांग है कि प्रदर्शन के लिए उन्हें रामलीला मैदान जाने दिया जाए.
  5. भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि हम विरोध प्रदर्शन के लिए एक निजी स्थल निरंकारी ग्राउंड पर क्यों जाएं. हमारे विरोध प्रदर्शन की जगह तो रामलीला मैदान ही तय है. हम पिछले तीन माह से कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं. लेकिन हमारी कोई बात सरकार द्वारा नहीं सुनी जा रही है.
  6. अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति, राष्ट्रीय किसान महासंघ और भारतीय किसान यूनियन के विभिन्न धड़ों ने मार्च का आह्वान किया था. केंद्र सरकार ने पंजाब के कई किसान संगठनों को वार्ता के एक और दौर के लिए तीन दिसंबर को दिल्ली आमंत्रित किया है. किसान नेताओं का कहना है कि वार्ता तीन दिसंबर को नहीं बल्कि आज और अभी होनी चाहिए.
  7. दूसरी ओर किसान आंदोलन को लेकर राजनीति भी खूब हो रही है. हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर (ML Khattar) ने शनिवार को आरोप लगाया कि केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ कुछ राजनीतिक दल एवं संगठन किसान आंदोलन को प्रायोजित कर रहे हैं.
  8. मनोहर खट्टर ने पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (Amarinder Singh) पर भी हमला बोला और दावा किया वह इस मसले पर उनसे बातचीत करना चाहते थे और तीन दिन तक उनके कार्यालय में टेलीफोन किया लेकिन उन्होंने इसका कोई उत्तर नहीं दिया. हालांकि, अमरिंदर सिंह ने खट्टर के उन आरोपों को खारिज किया कि बार-बार प्रयास के बावजूद उन्होंने हरियाणा के मुख्यमंत्री से बातचीत नहीं की.
  9. अमरिंदर सिंह ने कहा कि वह खट्टर से तब तक बात नहीं करेंगे, जब तक वह दिल्ली कूच कर रहे किसानों पर हुई बर्बरता के लिए माफी नहीं मांग लेते. आंदोलन में साजिश होने का दावा करते हुए खट्टर ने गुरूग्राम में कल संवाददाताओं से कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री के कार्यालय के अधिकारी पंजाब के प्रदर्शनकारी किसानों को निर्देश दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस आंदोलन की शुरुआत पंजाब के किसानों ने की है और कुछ राजनीतिक दल एवं संगठन इसे प्रायोजित कर रहे हैं.
  10. मनोहर लाल खट्टर ने दावा किया कि हरियाणा के किसानों ने इस आंदोलन में हिस्सा नहीं लिया है. उन्होंने कहा, 'इसके लिए मैं हरियाणा के किसानों का धन्यवाद देना चाहता हूं. मैं हरियाणा पुलिस की भी तारीफ करता हूं कि उन्होंने पिछले दो दिन में, जब से यह मामला (दिल्ली चलो मार्च) शुरू हुआ है, संयम से काम लिया है और बल का इस्तेमाल नहीं किया.' दूसरी ओर खट्टर के बयान के बाद सोशल मीडिया पर कई किसानों के वीडियो भी सामने आए हैं, जो इस आंदोलन में शामिल हुए हैं और खुद को हरियाणा का बताते हुए मुख्यमंत्री के बयान की निंदा कर रहे हैं.

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