बैंक कर्मचारी यूनियन के कड़े विरोध और सोशल मीडिया पर निंदा के बाद सार्वजनिक क्षेत्र के एक बैंक को अपने कर्मचारियों के लिए नवरात्रि समारोह के लिए ड्रेस कोड सर्कुलर वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा. मुंबई में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के केंद्रीय कार्यालय के डिजिटलीकरण विभाग के महाप्रबंधक एआर राघवेंद्र की ओर से 'नवरात्रि उत्सव और ड्रेस कोड' शीर्षक से एक सर्कुलर जारी किया गया था.
बैंक ने 7-15 अक्टूबर के बीच नवरात्रि के लिए अपने सभी कर्मचारियों के लिए एक ड्रेस-कोड लागू किया था. इसका पालन नहीं करने पर 200 का जुर्माना भी लगाने की बात कही गई थी.
1 अक्टूबर को जारी सर्कुलर में यह भी कहा गया था कि रोजाना सभी कर्मचारियों को एक ग्रुप फोटो भेजना भी अनिवार्य है. अपने निर्देशों में बैंक ने नौ दिनों के लिए नौ रंग की ड्रेस तय की थी. इन रंगों में पीला, हरा, नारंगी, सफेद, शाही नीला, गुलाबी, बैंगनी, सलेटी और लाल शामिल थे. चेक वाली शर्ट में बेस कलर को माना जाएगा.
#UnionBankofIndia introduced a dress-code for all its employees for #Navratri to be followed between October 7 and October 15 and imposed a penalty of Rs 200 if rules were not adhered to.
— NDTV (@ndtv) October 10, 2021
The circular was withdrawn after furore on social media. pic.twitter.com/kHFlar2xVm
कर्मचारी महासंघ ने तर्क दिया कि 'कार्यालय में एक धार्मिक त्योहार मनाने के लिए आधिकारिक निर्देश जारी करना, ड्रेस कोड तय करना और जुर्माना लगाना डिजिटलीकरण विभाग का नियमित आधिकारिक मामला नहीं है.'
अखिल भारतीय यूनियन बैंक कर्मचारी महासंघ ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया को एक पत्र में कहा था, 'नवरात्रि एक धार्मिक त्योहार है,. समाज के एक धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने के प्रति उच्च सम्मान रखने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक में इसे निजी तौर पर मनाया जाना चाहिए, न कि आधिकारिक तौर पर. किसी भी त्योहार को मनाना स्वैच्छिक है. इसमें किसी भी निर्देश और कोई भी जुर्माना लागू करने की जगह नहीं है. '
साथ ही कहा गया कि 'बैंक के 100 साल के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ.'
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