कोरोना लॉकडाउन के दौरान स्कूल फीस में छूट की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है. याचिका में कहा गया है कि बिना कोई सेवा दिए स्कूलों द्वारा फ़ीस और अन्य खर्चों की मांग करना "अवैध" है. स्कूल के एडमिशन फॉर्म में कोई फोर्स मेजर क्लॉज नहीं है. स्कूल एडमिशन फार्म के नियमों और शर्तों को मानने को बाध्य हैं.
याचिका में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम का जिक्र करते हुए कहा गया है कि "उक्त एडमिशन फार्म में फोर्स मेजर क्लॉज नहीं है, इसलिए बिना सेवा के फीस और अन्य खर्च की मांग करना गैरकानूनी है.'' कहा गया है कि ऑनलाइन कक्षाओं का एडमिशन फॉर्म में कोई उल्लेख नहीं है.
याचिका में कहा गया कि एडमिशन फॉर्म में कोई क्लाज़ नहीं है कि महामारी / प्रतिकूल स्थिति / राष्ट्रीय लॉकडाउन आदि के मामले में स्कूल प्रशासन ऑनलाइन कक्षाएं आयोजित करेगा और उसी के लिए फ़ीस और अन्य खर्च मांगेगा. ऑनलाइन कक्षा तो स्कूली शिक्षा की अवधारणा से पूरी तरह से अलग है. इसके कई दुष्प्रभाव और अवगुण हैं.
याचिका में कहा गया है कि उन छात्रों के लिए जिन्होंने पूर्व सहमति दी है और ऑनलाइन कक्षाओं में शामिल हुए हैं, माता-पिता से उक्त ऑनलाइन कक्षाओं के खर्च के लिए "आनुपातिक" शुल्क लिया जा सकता है. अदालत से आग्रह किया है कि वह मौजूदा परिस्थितियों में फोर्स मेजर क्लॉज की एक व्याख्या दे और सरकार को निर्देश दे कि वह स्कूल की फीस में अधिकतम छूट दे.
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